साहित्य चक्र

06 December 2022

कविताः जिंदगी




जीवन धूप और छाव
कभी धूप तो कभी छाव है जिंदगी
मीठे खट्टे अनुभव का नाम है जिंदगी
कुदरत की नियामत है जिंदगी
अगर ये जिंदगी न होती तो क्या होता
नए नए अनुभव देती है जिंदगी
हर नए पाठ पढ़ाती है जिंदगी
जिसे कोई न समझ पाए वो सबक है जिंदगी
अपने कर्मो के आधार पर चलती है जिंदगी
कोई न जान सके ऐसी पहेली है जिंदगी
किसी के लिए बहुत प्यारी है जिंदगी
किसी के लिए रो रो कर गुजरती है जिन्दगो
हर हाल में खुश रहे ऐसी है जिंदगी
माँ से मिले उपहार है जिंदगी
हम ऐसे ही न बिताए जिंदगी
कुछ कर दिखाए हम जिंदगी को
दूसरो से हटकर बिताये जिंदगी
जिंदगी भी कहे क्या है जिंदगी


- गरिमा


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