आहिस्ता चल जिंदगी
अभी कई कर्ज चुकाने बाकी है
कुछ दर्द मिटाने बाकी हैं
कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है
आहिस्ता चल जिंदगी
अभी कुछ कर्ज चुकाने बाकी है
रफ़्तार में तेरे चलने से
कुछ छूट गए, कुछ रूठ गए
रुठे को मनाना बाकी है
रोतो को हसना बाकी है
कुछ हसरते अभी अधूरी हैं
ख्वाहिश जो छूट गए दिल में
उनको दफनाना बाकी है
आहिस्ता चल जिंदगी
अभी कुछ कर्ज़ चुकाने बाकी है
कुछ रिश्ता बन टूट गए
कुछ judte judte छुट गए
उन्न टुटे रिश्तों के
जाखमों को मिटाना बाकी है
तू आगे चल मैं आती हूं
क्या छोड़ तुझे जि पाउंगी
In सासो पर हक है जिन्का
उनको समझना बाकी है
आहिस्ता चल जिंदगी
अभी कुछ कर्ज चुकाने बाकी है
भाविनी मिश्रा
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