साहित्य चक्र

22 December 2017

# योग की देवी...! रेखा नेगी..!





कौन कहता हैं..?  गांव की महिलाओं के सपनों को पंख नहीं लगते...। अगर हो हुनर और काबिलियत तो सपने जरूर पूरे होते हैं..। 

जी हाँ..! कुछ यहीं कहानी 'रेखा नेगी' की भी हैं..।  जो कुछ समय पहले एक गृहणी हुआ करती थी...। आज वहीं 'रेखा' योग देवी के रूप में पूरे उत्तराखंड में जानी जाती हैं..। वैसे आपको बता दूँ..। 'रेखा'  देवभूमि के कोटद्वार से हैं..। जो एक समाजसेवी भी हैं..। 'रेखा' उत्तराखंड के कोटद्वार जिले में योग को बढ़ावा देती हैं..। जिसके लिए 'रेखा' 'पतंजलि योग पीठ'  से जुड़कर काम करती है..। साल 2011 से 'रेखा' योग से जुड़ी हुई है..। इसी सिलसिले में हमने रेखा से कुछ खास बातचीत की...। 

आइए जानते हैं...।  उसी बातचीत के कुछ विशेष अंश...।

सवाल- योग हमारे लिए क्यों जरूरी है..?
जवाब-  योग हमारे शारीरिक-मानसिक विकास में मदद करता हैं...। योग हमारे मानसिक संतुलन को बरकरार रखता हैं..। आजकल के खान-पान को देखते हुए योग हमारे लिए बेहद ही जरूरी है..। योग करने से हमारे अंदर सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं..। 

सवाल- आप योग से क्यों और कैसे जुड़ी..?
जवाब- मैं योग से इसलिए जुड़ी क्योंकि आजकल जिस तरह के रोग हो रहे हैं..। उन सभी रोगों से बचने के लिए योग सबसे अच्छा उपाय हैं..। मुझे अपने आप को स्वस्थ रखना है..। जिसके लिए योग एकमात्र प्रयोग किया गया उपाय है..। पतंजलि के माध्यम से मैं योग तक पहुंत पाई..। जिसके लिए में पतंजलि का धन्यवाद करना चाहूंगीं..।  

सवाल- आप योग में आपना गुरू किसे मानते है..? 
जवाब- मैं योग में अपना गुरु 'योग गुरु रामदेव बाबा' को ही अपना गुरु मानती हूं..। रामदेव बाबा से ही मैंने योग सिखा..। मैं उन्हीं की तरह योग को आगे बढ़ाना चाहती हूं..।

सवाल- योग देवी के साथ-साथ आप एक समाजसेविका भी है..। इस पर आपका क्या कहना है..?
जवाब- हाँ..। में एक समाजसेविका भी हूँ..। मैं योग शिविरों के जरिए..। कई लोगों की मदद भी करती हूं..। योग का प्रचार करना ही मेरा लिए सबसे बड़ी समाज सेवा है..। मेरा मानना है..। एक समाज सेवक के हमेशा सच्चा होना चाहिए..। 


सवाल- आप एक शादीशुदा महिला है..? क्या योग सिखाने के लिए कभी आपके परिवार वालों ने आपको रोका नहीं..? 
जवाब- मुझे मेरे परिवार वालों ने कई बार रोका..। मैंने कई बार अपने पति की डांट भी खाई..। लेकिन मेरे अंदर एक जुनून था..। योग करने का.. और सिखाने का...। साथ ही लोगों तक योग का प्रचार कर घर-घर तक योग पहुंचाने का..। 

सवाल- योग के बारे में आप हमारी 'जयदीप पत्रिका' के माध्यम से लोगों तक क्या संदेश देना चाहेगें..?
जवाब- सबसे पहले मैं 'जयदीप पत्रिका' का तहे दिल से धन्यवाद देना चाहूंगीं..। जिसने मेरे विचार और मेरी मन की बात आप लोगों तक पहुंचायी..। मैं आप सभी लोगों से एक छोटी विनती करूगीं..। आप भी योग करें..। सकारात्मक विचार ग्रहण कर जीवन का आनंद लें..। धन्यवाद..।।


                                                             रिपोर्ट- दीपक कोहली
   


11 December 2017

* क्या लोकतंत्र को मिलेगा..! ऑक्सीजन ?




देश में भ्रष्टाचार की नस जिस तरह मोटी होती जा रही है...। उसे देखकर यहीं लगता है..। अब लोकतंत्र को भी ऑक्सीजन की जरूरत है..। आज हर राजनेता देश के बारे में कम और पार्टी के बारे में ज्यादा सोच रहे है..।
जिससे देश की लोकतंत्र  की जड़ कमजोर होती जा रही है..। जिस तरह हर न्यूज़ चैनल में किसी ना किसी राजनेता या किसी राजनीति पार्टी का हाथ मिला होना.. यह साबित करता है...। कि कहीं ना कहीं लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी खोखला होता जा रहा है..। यह दुर्भाग्य है हमारे देश का..। जहां सरकार मीडिया के आकड़ों पर बनती है...। मीडिया जिसे खबरों में रखती है..। या फिर जिसे टाइम लाइट पर रखती है..। वहीं राजनेता देश की राजनीति में एक मुख्य रोल निभाता दिखता हैं...। 



क्या यहीं है लोकतंत्र...? वहीं आजकल की मीडिया टीआरपी के लिए काम करती दिखाई देती है..। जो जितना पैसा देगा उसकी उतनी तारीफ की जाएगी..। हर न्यूज़ चैनल की अपनी एक भाषा शैली बनी हुई है...। कभी देश में अफवाएं फैलाई जाती है...। तो कभी देशवासियों को डराया जाता है..। इससे यह साबित होता है..। क्या हमारे देश की पत्रकारिता की भी ऐसी हालत हो गई है...। मीडिया जो चाहे कर लें..। जिसकी चाहे उसकी सरकार बना दें...। कई सवाल मन में उठते है...।



हमें लगता हैं...। देश को ऑक्सीजन की जरूरत है..। हर मामले में देश का ऑक्सीजन खत्म होता दिख रहा है..। चाहे आप किसी भी व्यवस्था को उठाकर देख लें..। हर क्षेत्र में ऑक्सीजन कम होता दिख रहा है..। हमारी मीडिया आज टीआरपी के पीछे भागती है..। या फिर चाहे टीआरपी कैसे ही क्यों ना मिले...? प्राइम टाइम में डिबेट कम एक-दूसरे पार्टी का पक्ष लेना ज्यादा दिखाई देता है..। मीडिया काम तो करती है...। पर टीआरपी उसे करने नहीं देता..। जब देश में कुछ नया मामला आता है तो हर न्यूज़ चैनलों में वहीं मामला चलता है..। जब टीआरपी एक ही चैनल बटोर कर ले जाता है...। तो फिर मामला स्वाह हो जाता है..। यानि खब़र बदल दी जाती है..। इसे हमारे देश का दुर्भाग्य ही कहां जा सकता है..। जहां की मीडिया अपने आप को कहती तो है...लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ...। पर है टीआरपी  की बीमार...। 
देश में कई ऐसे मामले है....। जिन पर मीडिया देखते हुए भी काम नहीं करती...। क्योंकि उसे उन मामलों से कोई फायदा नहीं होता है..। जिससे मीडिया उन मामलों पर कुछ नहीं करता..। हमारे देश में जब कोई बड़ी घटना होती है...। तो उसे हर बड़े से बड़ा और हर छोटे से छोटा न्यूज़ चैनल दिखाता है...। जब उस खब़र से कोई लाभ नहीं होता है...। तो उस घटना की खोज - बिन बंद कर दी जाती है...। यानि हर जगह लोभ- लालच ही नजर आता हैं...। आखिर लोकतंत्र को कब मिलेगा...? 'ऑक्सीजन'...!




                                                         संपादक- दीपक कोहली


07 December 2017

* छिल्लर के सपनों को लगे पंख...!

अगर आपके हौसले बुलंद हो...! आपको अपने सपनों की उड़ान जरूर मिलेगी..। जी हाँ...! अब आपके सपने भी होगें साकार...! आज हम बात करेगें...! 2017 की विश्व सुंदरी 'मानुषी छिल्लर' की...! कौन कहता है...? हमारे सपने सच नहीं होते..? अगर ठान लो...?  तो..! आसमां भी कदमों में नजर आता है..।



'मानुषी छिल्लर' पेशे से एक मेडिकल छात्रा है..। जो मूल रूप से हरियाणा की रहने वाली है..। 'मानुषी' ने देश को 17 सालों बाद विश्व सुंदर का खिताब दिलाया है...। 'मानुषी' यह खिताब जीतने वाली छठीं भारतीय सुंदरी है..। इससे पहले 1966 में पहली बार 'रीता फारिया' ने यह खिताब जीतकर विश्व में भारत का गौरव बढ़ाया था..। उसके बाद भारत को इस खिताब के लिए 27 सालों का इंतजार करना पड़ा...। जब 1994 में दूसरी बार 'ऐश्वर्या रॉय बच्चन' ने यह खिताब अपने नाम किया..। जिसके बाद भारतीय सुंदरियों ने इस खिताब की झड़ी लगा दी..। यानि लगातार एक-दो सालों के अंतराल के बीच इस खिताब को अपने नाम करती रही..। 

जब 1997 में 'डायना हेडेन', 1999 में 'युक्ता मुखी' और साल 2000 में 'प्रियंका चोपड़ा' ने यह खिताब जीतकर पूरे विश्व में भारत का मान बढ़ाया..। वहीं इस बार यानि 2017 का खिताब जीतकर 'मानुषी छिल्लर' ने एक बार फिर भारत का तिरंगा लहराया है..। 
आपको बता दूं...! भारत यह खिताब सबसे ज्यादा बार जीतने वाला एक मात्र देश हैं..। भारत की सुंदरियों ने यह खिताब अब तक छ: बार अपने नाम किया हैं...। 

'मानुषी' कहती है...! मैंने कभी नहीं सोचा था...! कि मैं कभी विश्व सुंदरी बनूंगी...। मुझे यकीन नहीं हो रहा...। मैंने विश्व सुंदरी का खिताब जीता हैं..। मैं शुक्रगुजार हूँ..। 'द् टाइम्स ग्रुप' व 'मिस इंडिया ऑर्गनाइजेशन' का जिन्होंने मुझे यह मौका दिया...। मेरा मार्गदर्शन किया मुझे विश्व सुंदरी बना दिया..। धन्यवाद पूरे देश का जिन्होंने मेरे लिए दुआएं कि और मेरा हौसला बढ़ाया..। 

आपको बता दूं...! 'मानुषी छिल्लर' ने यह खिताब पड़ोसी देश 'चीन' के 'सान्या' शहर के 'एरीना' में आयोजित समारोह में दुनिया के विभिन्न देशों के 108 सुंदरियों को पछाड़ते हुए यह खिताब अपने नाम कर..। इतिहास के पन्नों में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों से दर्ज किया..। 'मानुषी' के इस अवतार को देखकर पूरे देश खुशी में डूब गया..। प्रधानमंत्री 'नरेंद्र मोदी' से लेकर बॉलीवुड महानायक 'अमिताभ बच्चन' तक ने 'मानुषी' की इस उपलब्धि पर उन्हें ट्वीट के जरिए बधाई दी..। 

वैसे इस बार का खिताब इसलिए भी विशेष है..। क्योंकि इस बार का खिताब 17 सालों बाद भारत की झोली में आया है..। जो हरियाणा की बेटी 'मानुषी छिल्लर' ने देश को दिलाया..। 'मानुषी' हरियाणा की पहली बेटी हैं जिन्होंने विश्व सुंदरी का खिताब हासिल किया हो..। अगर हरियाणा जैसे प्रदेश की बेटी...।  यानि जो प्रदेश छोरियों को गर्भ में ही मारने के लिए जाना जाता हो..। वहां की बेटी ऐसा कीर्तिमान रचे तो यह प्रदेश के लिए बहुत बढ़ा गौरव है...।    



                                                    संपादक- दीपक कोहली


06 December 2017

* बंसत आयो...!






आयो रे आयो...! 
आयो बंसत आयो..।
बदली सी ऋतु लायो..।।


प्रेम की गंगा, फूलों की सुंगध

हरियाली छाने लगी है..।
आयो आयो बंसत ऋतु आयो..।।


कलियों की मुस्कान, भवरों की उड़ान 

चिड़ियों की चहक आने लगी है।
आयो बंसत ऋतु आयो..।।



दिलों का प्यार, मिलन की आश 

होली आने लगी है..।
आयो बंसत ऋतु आयो..।।


आयो बंसत, आयो..। 

बदली सी ऋतु लायो..।।


                                
                                                 कवि- दीपक कोहली