साहित्य चक्र

20 December 2022

कविताः जीत की खुशी




जीत की खुशी कमाल हैं
मेहनत की कमाई धमाल हैं।

सोने का ताज सिर पर सज जाता हैं
अनमोल लम्हा इतिहास रचाता हैं।

लाखों करोड़ों दिलों के फरिश्ते बन जाते हैं
जाने कितनी धड़कनों को धड़काते हैं ।

सुपर हीरो से भगवान हो जाते हैं
प्रशंसकों की मुस्कान बन जाते हैं।

देश के वीर सपूत कहलाते हैं
जीतकर मेडल ट्राॅफी लाते हैं।

अपनों के प्यार की ताक़त दिखाते हैं
मोहब्बत से जंग में परचम लहराते हैं।


-  श्रीमती क्रांति देवी आर्य


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