नया साल का पहला विहान ,
हुआ पूरब में रवि उदीयमान ।
चिड़िया चहकी कलियाँ खिली ,
महके गुलाब सरसो पीली ।
शांत वातावरण लगे मनभावन ,
बैठना छोड़ बढाएं कदम से कदम ।
न किसी से रखें बैर,
ना ही है यहाँ कोई गैर।
सब यहाँ है जाना पहचाना ,
कोई नही पराया सब है अपना।
साल की शुरुआत करें खुशी खुशी
किसी के चेहरे मे न दिखे मायुसी ,
हरेक कोई एक दूजे का बनें सहारा,
एक है एक ही रहने का दो नारा।
न कोई यहाँ बड़ा न कोई छोटा,
सब बने अच्छा कोई न निकले खोटा
दो चार की है यहाँ जिंदगी ,
तो फिर क्यों फैलाये आपस में गंदगी ?
हरेक इंसान का थाम कर हाथ,
नये साल की करें शुरूआत ।
चुन्नू कवि का यही है आह्वान ,
स्वागत है नया साल का पहला विहान।
- चुन्नू साहा
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