साहित्य चक्र

31 December 2022

नया साल का पहला विहान




नया साल का पहला विहान ,
हुआ पूरब में रवि उदीयमान ।

चिड़िया चहकी कलियाँ खिली ,
महके गुलाब सरसो पीली ।

शांत वातावरण लगे मनभावन ,
बैठना छोड़ बढाएं कदम से कदम ।

न किसी से रखें बैर,
ना ही है यहाँ कोई गैर।

सब यहाँ है जाना पहचाना ,
कोई नही पराया सब है अपना।

साल की शुरुआत करें खुशी खुशी
किसी के चेहरे मे न दिखे मायुसी ,

हरेक कोई एक दूजे का बनें सहारा,
एक है एक ही रहने का दो नारा।

न कोई यहाँ बड़ा न कोई छोटा,
सब बने अच्छा कोई न निकले खोटा  

दो चार की है यहाँ जिंदगी ,
तो फिर क्यों फैलाये आपस में गंदगी ?

हरेक इंसान का थाम कर हाथ,
नये साल की करें शुरूआत ।

चुन्नू कवि का यही है आह्वान ,
स्वागत है नया साल का पहला विहान।


                                          - चुन्नू साहा 


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