इन दिनों उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में जंगली जानवरों का आतंक फैला हुआ है। कभी तेंदुआ, बाघ तो कभी जंगली सूअरों का सामना करना पड़ रहा है। तेंदुए और बाघ के आतंक से लोग ने दोपहर के 3-4 बजे के बाद से घरों से बाहर निकलना बंद कर दिया है। गांवों से पलायन के कारण गांव में जनसंख्या बहुत कम है। जिससे जंगली जानवर लोगों के घरों के नजदीक भी आने लगे हैं। जिसके कारण गांव में रहने वाले लोग डर और खौफ में रहने को मजबूर है। इन सब हालातों को देखकर सवाल उठते हैं- अगर यूं ही पहाड़ों से पलायन होता रहेगा, तो पहाड़ी गांव का क्या होगा ? गांवों में लोग नहीं रहेंगे तो संस्कृति और सभ्यता का क्या होगा ? क्या सरकार के पलायन रोकने और गांव में लोगों की सुरक्षा के लिए कोई योजना नहीं है ?
हाल ही में अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट ब्लॉक के दैना गांव में एक व्यक्ति को तेंदुए ने मार कर आधा खा लिया। इसके अलावा कई गांवों में दिन-दोपहर में ही तेंदुएं और बाघों ने लोगों पर हमले कर घायल किए हैं। दूरदराज और जंगलों के करीबी गांवों में लोगों का अकेला बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। इन घटनाओं की खबर सुनकर ऐसा लगता है कि अब उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में जीवन यापन करना लगातार कठिन होता जा रहा है। स्थानीय लोग बताते हैं कि पहाड़ी क्षेत्र से लगातार पलायन के कारण गांव में जनसंख्या घट रही है। गांव के लोगों ने पहले के मुकाबले मवेशी रखना बंद कर दिया है। लोगों ने पहाड़ी क्षेत्रों में होने वाली खेती बंद कर दी है। जंगली जानवरों को जंगलों में खाने के लिए कुछ नहीं मिल पा रहा है, इसलिए जंगली जानवरों का आतंक लगातार गांवों की ओर बढ़ रहा है। इसके अलावा चिड़िया घर वाले भी पहाड़ी क्षेत्रों में जंगली जानवरों को छोड़ जाते हैं और चिड़िया घर वाले जानवर बेहद खतरनाक होते हैं क्योंकि यह किसी से डरते नहीं है।
उत्तराखंड राज्य को बनाने के लिए यहां के क्रांतिकारियों के कई मकसद थे, मगर आज सारे मकसद पानी में मिलते नजर आते हैं। उत्तराखंड राज्य को बने हुए करीब 23 साल हो गए हैं, विकास के नाम पर पहाड़ी क्षेत्रों में सिर्फ पंचायत भवन के अलावा कुछ नहीं बना है। आज भी पहाड़ी क्षेत्र के बच्चे 5 से 10 किलोमीटर रोज पैदल चलकर शिक्षा प्राप्त करते हैं। कुछ गांव में सड़कों का जाल बिछाने का कार्य तो हुआ, मगर उन गांव से लगातार पलायन होता जा रहा है। यह उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बसे गांवों के भविष्य और अस्तित्व के लिए चिंता का विषय है।
उत्तराखंड सरकार के पास ग्रामीण क्षेत्रों के पलायन को रोकने के लिए कोई बड़ी योजना नहीं है। आज की उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार की समस्या सबसे बड़ी समस्या है। एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड के सैकड़ों गांव बंजर हो चुके हैं। प्रदेश के गांव यूं ही बंजर होते गए तो यहां की संस्कृति, सभ्यता और रहन-सहन शायद ही जिंदा रह पाएगा। उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों के अस्तित्व को जिंदा रखने के लिए उत्तराखंड और भारत सरकार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उत्तराखंड के गांवों का बंजर होना, दुश्मन देशों को फायदा पहुंचा सकता है, क्योंकि उत्तराखंड की सीमा चीन, नेपाल से लगती है। उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों की यह समस्या बेहद चिंताजनक है, इसलिए हम सभी का दायित्व बनता है कि उत्तराखंड की इन समस्याओं के बारे में लिखें और इन्हें अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं। जिससे हमारी सरकारें इन विषयों को गंभीरता लें और कुछ ठोस कदम उठाएं।
- स्थानीय लोगों की सहायता से तैयार जयदीप पत्रिका की स्पेशल रिपोर्ट
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