झुक जाता हूँ बारबार,
इसे मेरी हार न समझना...
बोल दूँ भले चार बातें,
इसे मेरा अहंकार न समझना...
आदत है मेरी क्रिया पर तुरंत प्रतिक्रिया की,
इसे मेरा वार न समझना...
दुनिया बदल गयी कहते-कहते
कि हम नहीं बदलेंगे,
पर मैं कहता नहीं...
हूँ आज भी वैसा ही...
जैसा तुमने छोड़ा था बदलने से पहले...
झुक जाता हूँ बारबार,
इसे मेरी हार न समझना...
इसे मेरी हार न समझना
- अपर्णा सचान
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