तेरे नाम से ही तो साजन...
मैं अपर्णा पूरी हूं।
तुम जैसे शिव का "आशीष" मुझ पर,
मैं तुमसे ही पूरी हूं।
बन जाऊं मैं सती सी पर
न हममें कभी दूरी हो।
पहनूं भले ही सादी साड़ी पर,
हमेशा मांग मेरी सिंदूरी हो।
हाथों में मेंहदी, पैरों में बिछिया,
कलाइयों में हमेशा लाल रंग की ही चूड़ी हो।
करूं विनती मैं अर्द्धनारेश्वर से हाथ जोड़कर,
कि उनके जैसी ही अपनी जोड़ी हो।
तेरे नाम से ही तो साजन...
मैं अपर्णा पूरी हूं
तेरे नाम से ही तो साजन...
मैं अपर्णा पूरी हूं...
मैं अपर्णा पूरी हूं...
लेखिका- अपर्णा सचान
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