दर्दे दिल है किस तरह अब
छुपाऊं सावन में,
तुम क्यूं नहीं आये कैसे
मुस्कुराऊँ सावन में,
लम्हे रह रह के सताते हैं,
रास्ते उदास हैं सारे,
बारिशों की बूंदों हैं, कैसे
भीग जाऊं सावन में,
वादे जो किये थे,भुलना,
उन्हें मुमकिन है कहां,
तुम न आये तो क्या मैं भी
रूठ जाऊं सावन में,
दिल टूटेगा आएगी क़यामत
शाम ए फुरक़त है,
आओ न बैठेगें दिल की बातें ,
हैं हसीन सावन में,
हाथ दिल पे रखो धड़कनों
को मेरी समझो तो,
बस दो पल की ही इनायत,
हो जाय सावन में,
बारिशों की बूंदों से लिपट
कर फिर बहुत रोया,
आज में तन्हा हुँ याद आगई
तेरी आज सावन में,
दूर हो लेकिन क़रीब दिलके
तुम्हें मैं रखता हूं
बढ़ गई और मुहब्बत देख
मुश्ताक़ आके सावन में,
- डॉ . मुश्ताक़ अहमद शाह
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