साहित्य चक्र

02 December 2022

शीर्षक- मोहब्बत




शौक़ से सुनिये क़िस्सा मेरी  मुहब्ब्त का, 

साक़ी तेरी बात से हम इत्तफ़ाक रखते हैं, 
क़सम नहीं थी, हम तो मज़ाक़ करते हैं, 

सरे महफ़िल कर  गया वो इशारा मुझको ,
हाय करने लगे कहा,तूझसे प्यार करते  हैं, 

शौक़ से सुनिये क़िस्सा मेरी  मुहब्ब्त का, 
क्या आप भी गिरेबां को  चाक़ करते हैं, 

न रही शाख न वो गुलशन ही रहा अपना ,
बाक़ी  है ज़िन्दगी उसको  खाकर करते हैं, 

ए बर्क क्या रहा बाक़ी,जो तु जलाने आई, 
लौट जा मुश्ताक़ आख़िर सलाम करते  हैं,


                                डॉ . मुश्ताक अहमद शाह


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