सुना है सपनों की हाट लगी है , चलो कोई उम्मीद खरीदें,
किसी बिसाती से जमीन और किसी से आसमान खरीदें ।
सस्ते में कोई बेचे तो जीवन की खुशियों का मोल करें ,
अगर महंगा मिले तो फिर कोई और अरमान खरीदें ।
प्यार ,मोहब्बत, रिश्ते और अपनापन तो सब खरीदेंगे ,
चलो हम भरोसे से भरी एक दुकान खरीदें ।
किराए की सी है जिंदगी , गुजरते जा रहे हैं दिन ,
उम्र भर की पगार देकर ,सुकून का एक मकान खरीदें ।
जाने किस तराजू में तोलेंगे ये सपनों का वजन ?
अपनी आंखों से करके सौदा एक अहसान खरीदें ।
इस हाट में सब बिकता है, बड़े हुनरबाज व्यापारी हैं ,
मुठ्ठी में लेकर जुगनू , छोटी सी मुस्कान खरीदें ।
मरने के बाद पता नहीं कौन कहां जगह दे ?
चलो हम जीते जी अपने लिए एक शमशान खरीदें ।
- मंजू सागर
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