साहित्य चक्र

06 December 2022

कविताः सतत विकास



करें गरीबी का निवारण,
मिलकर बचाए पर्यावरण,
हो समाज मैं आत्मनिर्भरता,
बिना फर्क किए हो लैंगिक समानता!

कोई व्यक्ति न भूखा सोए,
उद्योग, नवाचार, बुनियादी सुविधाएं,
उत्तम स्वास्थ्य और खुशहाली,
लक्ष्य हेतु हो हमारी भागीदारी!

गुणवत्तापूर्ण हो शिक्षा,
जलीय और थलीय जीवो की सुरक्षा,
स्वच्छ जल और स्वच्छता,
जलवायु परिवर्तन आपदा से सामना करने की क्षमता!

शांति, न्याय और हो सशक्त संस्थाएं,
संवहनीय शहर और समुदाय,
असमानताओं में कमी की चुनौती,
उर्जा हो प्रदूषण मुक्त और सस्ती!

सतत विकास देश में लाए,
जानिए इसकी सारी विशेषताएं,
भविष्य की पीढ़ी की भी पूरी हो आवश्यकताएं,
हम सब मिलकर भारत देश को विकसित बनाएं!!


                          लेखिकाः डॉ. माध्वी बोरसे


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