साहित्य चक्र

19 December 2016

- नोटबंदी पर मेरी रॉय –

        - नोटबंदी पर मेरी रॉय –


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नोटबंदी के फैसले से जहॉ एक तरफ पूरा देश खुश नजर आ रहा है। तो वहीं विपक्ष नोटबंदी के खिलाफ नारेबाजी कर रहा हैं। वैसे 9 नवंबर की रात 8 बजे जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये फैसला सुनाया कि 500 औऱ 1000 के नोट अब चलन में नहीं रहेंगे तो पूरा देश अचम्भित हो गया। लेकिन जब देश की जनता को इसके नतीजे और लाभ बताएं गए, तो पूरा देश प्रधानमंत्री के इस फैसले का साथ खड़ा नजर आया। मैं भी पीएम मोदी के इस फैसले के साथ हूं, लेकिन मेरे कई सवाल है जो मुझे चैन से नहीं सोने देते हैं। शायद आप भी सोच रहे होंगे। इन्हीं सवालों में मेरा पहला सवाल क्या नोटबंदी से कालाधन खत्म हो जाएगा..? और केंद्र सरकार व्यवस्था कब तक करेगीं..? आखिरकार आम जनता कब तक इन मुसीबतों से लड़ती रहेगी। एक सवाल और कहना चाहूंगा कि सरकार ने नोटबंदी तो एक ही पल में कर दी। लेकिन आम जनता की समस्याओं के लिए सरकार ने कोई बड़ा फैसला अभी तक नहीं लिया। जिसके चलते अभी भी बैंकों औऱ एटीएम में लोगों की भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। वैसे में किसी भी राजनीतिक पार्टी औऱ राजनेता से जुड़ा नहीं हूं। मैं तो एक आम व्यक्ति के रुप में अपने विचार आप लोगों तक रख रहा हूं। मेरा मनाना है कि नोटबंदी तो सही फैसला है लेकिन इसे सही तरीके से इस्तेमाल में नहीं लाया गया। जिससे लोगों कि परेशानी दिन-बे-दिन बड़ती जा रही है। मैंने एक आम व्यक्ति के रुप में ये लेखा है। जो मेैंने देखा और सुना उसको मद्नजर रखते हुए मैं उन लोगों की राय आप तक पहुंचा रहा हूं। जो सुबह चार बजे से एटीएम और बैकों के लाइनों में खड़े हैं। उन लोगों में से कुछ लोगों का कहना है कि फैसला तो सही है लेकिन व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण थोड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि ये फैसला बिलकुल ही ठीक नहीं है। वहीं कुछ युवाओं का कहना है कि ये फैसला देश के विकास में बदलाव लाएगा। वहीं कुछ वरिष्ठ नागरिकों का कहना है कि ये फैसला तो ठीक है, लेकिन देश में अभी भी कालाधन पर रोक नहीं लगा पा रही मोदी सरकार जिससे आए दिन कालाधन छुपाने वाले कई गद्दार पकड़े जा रहे हैं। वहीं अगर पीेएम मोदी की बात करें तो उन्हें आम जनता से उम्मीद हैं कि जनता उनके इस फैसले के विरोध में नहीं आ सकते क्योंकि पूरा देश पीएम मोदी के साध खड़ा हैं। चाहे कोई दिल से हो या दिखावे से हो। लेकिन आम जनता पीएम के साध खड़ी दिख रही हैं। जो आप भी देख रहे है, कि देश इस वक्त इतनी बड़ी समस्या से गुजर रहा है, लेकिन आम लोगों में कोई बड़ा विरोध देखने को नहीं मिल रहा है। जिससे ये साबित होता है, कि देश की जनता मोदी के भक्ति में डूबी हुई हैं। उन लोगों से पूछो जिनके अपने अस्पतालों में बीमार पड़े है और वे लोगों कुछ नहीं कर पा रहे है। वहीं जिन लोगों के घर में शादी-विवाह जैसे कार्यक्रम है उनकी क्या हालत हो रही है। ये तो वहीं जान सकते हैं। वहीं एक तरफ देश में करो़ड़ों रुपये छापेमारी में पकड़े जा रहे। जिससे ये साफ हो जाता है कि कालाधन रखने वालों पर कोई लगाम नहीं लग रहीं है। चाहे सरकार कितने ही दांवे क्यों ना कर ले। अभी तक सरकार इस फैसले में नाकाम होती दिख रही हैं। वहीं सरकार ने जब से ये फैसला सुनाया है, तब से सरकार कई बार इन नियमों में बदलाव कर चुकी हैं। जो जनता के लिए मुश्किलों का पहाड़ खड़ा कर रही है। आखिर कब ये स्थिति सामान्य होगी। ये एक बड़ा सवाल बना हुआ है।  

                     संपादक - दीपक कोहली

03 December 2016

नर- नारी

    नर- नारी 

अगर नारी शक्ति है, तो 
पुरुष महाशक्ति है।।

अगर नारी सुंदर है, तो 
पुरुष बलवान है।।

अगर नारी मुरत है, तो
पुरुष सूरत है।।

अगर नारी आत्मा है, तो
पुरुष महात्मा है।।

अगर नारी तन है, तो 
पुरुष धन है।।

अगर नारी देवी है, तो 
पुुरुष देवता है।।

अगर नारी मान है, तो 
पुरुष सम्मान है।।


                    कवि- दीपक कोहली 


                           

29 November 2016

सच हम नहीं - सच तुम नहीं



सच हम नहीं सच तुम नहीं 
सच ये संसार नहीं....।

सच हमारे नैन नहीं, 
सच तुम्हारे नैन नहींं..।
सच तो है ये परमात्मा..।।

सच हम नहीं - सच तुम नहीं 
सच ये संस्कृति नहीं....।।

सच हमारी नियत नहीं , 
सच तुम्हारी नियत नहीं..।
सच तो है ये ईश्वर.....।।

सच हम नहीं - सच तुम नहीं
सच ये प्रकृति नहीं...।।

सच हमारी बात नहीं, 
सच तुम्हारी बात नहीं...।
सच तो ये परमेश्नर है...।।

सच हम नहीं - सच तुम नहीं 
सच ये जगत नहीं..।।

सच हमारी जाति नहीं,
सच तुम्हारी जाति नहीं..।
सच तो ये मानव आत्मा है...।।

                        कवि- दीपक कोहली

#कलयुग की पहचान#

                                #कलयुग की पहचान#


प्राणी में  प्राण नहीं,
मानव में मानवता नहीं।
यहीं कलयुग की पहचान है।।


धर्म में धर्मता नहीं, 
पवित्र में पवित्रता नहीं।
यहीं कलयुग की पहचान है।।

वाणी में सत्य नहीं, 
पहनावे में शर्म नहीं।
यहींं कलयुग की पहचान है।।

पानी में मीठास नहीं, 
भोजन में स्वाद नहीं।
यहीं कलयुग की पहचान है।।

                                    कवि- दीपक कोहली


 
 

24 November 2016

सपा का सफरनामा & मुलायम की राजनीति

             

समाजवादी पार्टी का मुख्या या प्रमुख मुलायम सिंह यादव का राजनीति सफर बहुत ही उतार - चढ़ाव भरा रहा है। 22 नवंबर 1939 में इटावा जिले के सैफई गांव में एक किसान के यहां इनका जन्म हुआ। मुलायम अपने भाई- बहनों में सबसे छोटे है। मुलायम के पांच भाई- बहन है- रतन सिंह, अभयराम सिंह, शिवपाल सिंह, रामगोपाल, कमला देवी। 

वैसे मुलायम सिंह के पिता सुधर सिंह मुलायम को पहलवान बनाना चहते थे। लेकिन मुलायम सिंह तो उत्तरप्रदेश की राजनीति में अपना लोहा मनवाना चहते थे। किसे पता था कि एक किसान का बेटा तीन बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बनेगा। मुलायम ने अपना राजनीति सफर जसवंत नगर से शुरु किया। राजनीति में आने से पहले मुलायम सिंह आगरा विश्वविद्दालय से स्नातकोर (एम.ए.) की डिग्री ली और मैनपुरी के जैन इंटर कॉलेज करहल में अध्यापक भी रहे है। मुलायम उन नेताओं में गिने जाते है जो किसानों, पिछड़े वर्ग को महत्वपूर्ण स्थान देते हैं। मुलायम सिंह को जनता प्यार से नेताजी भी कहती है। नेता जी 1967 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा सदस्य बनें। वैसे मुलायम सिंह अपना गुरु डॉ. राम मनोहर लोहिया को मानते है। नेता जी ने लोहिया जी के साथ ही राजनीति में प्रवेश किया था। जिस समय भारतीय लोक दल & भारतीय क्रांति दल राजनीति पार्टी हुआ करती थी। 1968 में लोहिया जी का देहांत हो गया जिसके बाद मुलायम सिंह अकेले और पूरी जिम्मेदारी आ गई। लोहिया जी वो राजनेता थे जिन्होंने उत्तरप्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वैसे कई राजनेताओं का मानना है कि मुलायम के गुरु चौधरी चरण सिंह भी थे। जिन्होंने मुलायम को राजनीति के गुरु सिखाए लेकिन मुलायम ने उन्हें गुरु दक्षिणा के बादले धोखा दिया। ये मेरी अपनी राय नहीं ये उन राजनेताओं का कहना हैं जो मुलायम को बचपन से जानते हैं। 

कभी भारतीय क्रांति दल से चुनाव लड़ने वाले मुलायम सिंह आज खुद अपनी पार्टी के अध्यक्ष है या कहे आज खुद उनकी आपनी पार्टी है। राजनीति में मुलायम ने वो उतार - चढ़ाव देखे हैं जो किसी भी राजनेता ने कभी देखें होंगे। मुलायम सिंह लगातार जसवंत नगर से तीन बार विधायक रहे। जब 1990 में जनता दल टूटा तो मुलायम समाजवादी जनता दल से चुनाव लड़ और जीते भी। 1992 में मुलायम सिंह ने एक पार्टी बनाने का ऐलान किया। जिसका नाम समाजवादी पार्टी रखा गया। जिससे मुलायम के विरोधी पार्टियां उन्हें कमजोर करने में जुट गए। लेकिन फिर भी मुलायम ने हार नहीं मानी और एक बार फिर 5 दिसबंर 1993 को मुख्यमंत्री बने। इससे पहले मुलायम 1989 में सीएम रह चुके थे। 

अगर आज मुलायम सिंह को सपा का भीष्मपित्माह कहां जाए तो गलत नहीं होगा। तीन बार यूपी के सीएम और केंद्र सरकार में रक्षामंत्री रह चुके है मुलायम। इसके अलावा कई पदों पर भी रहे हैं। वैसे मुलायम की पहचान एक धर्मनिरपेक्ष नेता के रुप में की जाती हैं। नेता जी संयुक्त मोर्चा सरकार में रक्षा मंत्री रहे थे। वेृैसे देखें तो मुलायम का केंद्रीय राजनीति में 1996 से प्रवेश हुआ। जब कांग्रेस पार्टी को हरा संयुक्त मोर्चा ने सरकार बनाई। तभी एचडी देवगौड़ा को  प्रधानमंत्री बनाया गया। जबकि मुलायम सिंह का नाम सामने आया था। कुछ नेताओं के विरोध के चलते मुलायम पीएम नहीं बन पाए। 28 मई 2012 को मुलायम सिंह को उनके विचारों और उनकी लोकतंत्र, राष्ट्रवाद सोच के लिए लंदन में अंतर्राष्ट्रीय जूरी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आज भी विपक्ष प्रदेश में मुलायम सिंह का लोहा मानता है। अब सबकी नज़र 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव पर टिकी है। क्या मुलायम का जादू एक बार फिर देखने को मिलेगा। या फिर बेटे के दाम पर सपा चुनाव लड़ेगी। 




                                    संपादक - दीपक कोहली  

17 November 2016

-सोलह साल आठ मुख्यमंत्री-

                                
                   
उत्तराखंड को बने सोलह साल हो चुके है। इन सोलह सालों में उत्तराखंड आठ मुख्यमंत्री देख चुका हैं। लेकिन अभी तक बस एक ही मुख्यमंत्री पांच साल तक राज कर सके। इसे उत्तराखंड का नसीब ही कहां जा सकता है। जो उसने इन सोलह सालों में आठ सीएम देखें। इन सोलह सालों में प्रदेश ने कितनी प्रगति की ये आपके सामने है। चाहे आज प्रदेश सरकार या विपक्ष कितने ही दांवे क्यों ना कर लें लेकिन हकीकत आपके सामने साफ दिख रही है। प्रदेश की क्या हालत है ये आप जानते ही है। लेकिन फिर भी मैं आपको उन समस्याओं से रूबरू करऊंगा जो प्रदेश की प्राथमिकता है। सबसे पहले मैं बात करूंगा शिक्षा और बिरोजगारी की, जो प्रदेश के हालतों को उजागर करता हैं। प्रदेश में लगातार शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। जो राज्य भविष्य के लिए खतरनाक संकेत है। प्रदेश की  जनता शिक्षा को लेकर काफी परेशान नजर आती हैं। मैं बात उन इलाकों की कर रहा हूं जहां आज भी लोग शिक्षित नहीं हैं। शिक्षा तो दूर की बात कई इलाके ऐसे भी है जहां स्कूल तक नहीं है। अगर कोई स्कूल है भी तो वह बंद पड़ा हुआ है या वहां कोई टीचर ही नहीं है। सब राम भरोसे चल रहा है। अापको में बाता दूं राज्य अध्यापकों के क्या हालात हैं। सुबह आते है 11 बजे और शाम को 2 बजे चले जाते है। ये मैं अपने आंखों देखों का हालात बाता रहा हूं। उसमें भी अाधा समय चाय पानी और कागज कार्रवाई में चला जाता है। कुल मिलकर शिक्षा व्यवस्था का हाल राम भरोसे है। अब में आपको ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत, विधायकों आदियों के हाल बताता हूं। प्रदेश में जितना विकास हो रहा है उससे कई गुना भ्रष्टाचार तेजी से आगे बढ़ रहा है। अगर आप कभी किसी काम के लिए तहसील या पटवारी आदि के पास जाइगें तो वहां आप बिना पैसे दिए काम नहीं कर सकते या आपका काम देर में होगा या होगा ही नहीं। ये वे समस्या है जिससे आम जनता परेशान हैं। यहीं हाल प्रदेश के सस्ता - गल्लों की दुकानों का भी हैं। जहां राशन आता तो है लेकिन दुकानदार उसे ब्लैक में बेचते है। जिससे राज्य में आक्रोश की स्थिति बन जाती है। वहीं प्रदेश की सड़कों का हाल बेहद ही खराब है। तो वहीं कई स्थानों में सड़कों है ही नहीं लोग 10-किलोमीटर चलकर अपने रोजमर्रा का सामान ले जाते हैं। समस्या कई है लेकिन समाधान ना मात्र है। 
कहे तो किस से कहे, सुनेगा तो कौन सुनेगा..? ये एक बड़ी चिंता है। हालात तो ये भी है कि प्रदेश में पलायन दिन पे दिन बढ़ता जा रहा है। इसका कोई परामर्श अभी तक निकलता नहीं दिख रहा है और ना ही अभी तक लगता है कि राज्य सरकार इसके लिए कोई कदम उठाएगी। प्रदेश में सरकार अभी तक बीजेपी & कांग्रेस के अलावा किसी दूसरी पार्टी की बनी नहीं हैं।  इन सोलह सालों में ये दो पार्टी एक- दूसरे पर आरोप थोपती नज़र आई है। कब होगा प्रदेश का विकास कब मिलेगा युवाओं को रोजगार..? ये एक चिंता का विषय ही नहीं बल्कि प्रदेश की समस्या भी है। प्रदेश में स्वामी से लेकर रावत तक कर चुके हैं शासन। लेकिन राज्य का हाल दश की तश है। राज्य में एक और समस्या चिंता का मूल विषय है। जंगली जनवरों का आंतक जिन्हें उत्तराखंड की जनता का जीना ना मुमकिन कर दिया है जिसके चलते यहां की जनता ने खेत करनी कम कर दी हैं। वहीं आंवारा जानवरों ने भी यहां की खेती चोपट कर दी है। एक ओर यहां के जंगल लीसे के लिए समाप्त होते दिख रहे है। तो वहीं कुछ लकड़ी चोरों का आंतक इन्हें नष्ट कर रहे है। लेकिन प्रदेश सरकार सोयी हुई है। जो कोई कदम नहीं उठाती है। मेरा प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार से यहीं निवेदन है कि जनता का भी ध्यान रखें और साथ ही प्रदेश की समस्याओं का निदान करें।


                                    संपादक- दीपक कुमार कोहली     

  

15 November 2016

मेरा- तेरा

मेरा- तेरा

कोरा कागज था मन मेरा,
लिख दिया है नाम तेरा।।

सुना आंगन था मन मेरा, 
बसा दिया है प्यार तेरा।।

खाली दर्पण था मन मेरा,
रच गया है रुप तेरा।।

टूटा तारा था मन मेरा,
बना दिया है चांद तेरा।।

          कवि- दीपक कोहली



14 November 2016

-मोती का लाल, देश का चाचा-

                        

देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू जी को उनके जन्मदिन पर शत्-शत् नमन....। 14 नवंबर 1889 को संगम नगरी इलाहाबाद में मोती लाल नेहरू और स्वरुप रानी नेहरू के घर जन्म लिया। जूी हां.....चाचा नेहरू बचपन से ही तीव्र बुद्धी के व्यक्ति थे। नेहरू जी को धार्मिक रस्में खूब पंसद थी। चाहे हिंदू रीति-रिवाज हो या मुस्लिम धर्म के त्योहार उन्हें खूब भाते थे। लेकिन कभी ये आकर्षण उनके मन में विश्वास नहीं जगा सकी। चाचा जी का बचपन मुंशी मुबारक अली की देख-रेख में गुजरा। मुबारक अली उन दिनों उनके नौकर हुआ करते थे। जो चाचा नेहरू को रानीलक्ष्मीबाई व अनेक वारों के बारे में बाताया करते थे और अलिफलैला जैसी कथाएं सुनाय़ा करते थे। वैसे नेहरू जी का जन्म बचपन में एक अलग ही अंदाज में मनाया करते थे मोती लाल। नेहरू जी मोती लाल के इकलौते बेटे थे। जिन्हें मोती लाल एक राजा की तरह रखा करते थे। जिस दिन नेहरू जी का जन्मदिन हुआ करता था तो मोती लाल उन्हें तराजू में तौला करते थे। तराजू में एक तरफ नेहरू जी तो दूसरी तरफ बटे की जगह अनाज, कपड़े, मिठाई, रख कर तौला जाता था। उसके बाद वो अनाज, कपड़े आदि गरीबों में बांट दिए जाते थे। यह प्रकिया लगभग कई बार होती थी।      नेहरू जी की पढ़ाई लगभग इंग्लैंड में ही हुई। 13 मई 1905 में वो पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए और 1912 में भारत वापस लौटें। जिसके बाद उन्होंने अपने पिता के साथ वकालत करनी शुरु कर दी। 1916 में पिता मोतालाल ने इनका विवाह कमला कौल से नामक लड़की से कर दिया। सन् 1917 में नेहरू जी होम रूल लीग में शामिल हुए। जिसके बाद सन् 1919 में ये बापू के संपर्क में आए। जहां से नेहरू जी ने राजनीति में कदम रखा और 1920-22 के असहयोग आंदोलन में सक्रिय रुप से  हिस्सा लिया। इस दौैरान चाचा नेहरू कई बार जेल भी गए। सन् 1924 में  नेहरू जी  इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए। सन् 1929 के लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में नेहरू  जी को राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष चुना गया।  26 जनवरी 1930 में नेहरू जी ने लाहौर में स्वतंत्र भारत का तिरंगा फहराया था। नेहरू जी  1930 और 40 के दशक के आंदोलनकारियों के प्रमुख नेता थे। सन् 1942 से 1946 तक चाचा नेहरू अहमदनगर जेल में रहे। जहां उन्होंने "भारत एक खोज" नाम की किताब लिखी थी। जिसमें उन्होंने पूर् भारत का इतिहास लिखा है। 1947 में जब भारत अाजाद हुआ तो नेहरू जी देश के प्रथम प्रधानमंत्री बनाए गए। नेहरू जी ही वे व्यक्ति है जिन्होंने देश के लिए गुटनिरपेक्ष नीतियों की शुरुआत की। जिसका फायदा आज हमें मिल रहा है। 27 मई 1964 का वे दिन देश के लिए अंधकार लेकर आया और अचानक  नेहरू जी की मृत्यु हो गई। जब भी देश में राजनेताओं की बात होगीं तो चाचा नेहरू का नाम जरूर आएगा। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपने कलम को विराम देता हूं। 

                                           संपादक- दीपक कोहली

-राष्ट्र निर्माता & देश के भविष्य-

 
चौदह नवंबर पूरे देश में बाल दिवस के रुप में  मनाया जाता है। बाल दिवस चाचा नेहरू की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। इसके पीछे भी कई तथ्य है। वैसे बाल दिवस की नींव 1925 में रखी गई थी। जिसे विश्व कांफ्रेस की ओर से बच्चों के कल्याण के लिए घोषित किया गया।  सन् 1954 में इसे पूरे विश्व में मान्यता प्राप्त हुई। जबकि संयुक्त राष्ट्र ने 20 नवंबर को बाल दिवस के रुप में मनाने की तिथि तय की थी। लेकिन आज बाल दिवस अलग - अलग देशों में अलग - अलग तिथि को मनाया जाता है। जबकि भारत ने इसे प्रथम प्रधानमंत्री चाचा नेहरू के जन्मदिन के रुप में मनाने की घोषणा की थी। वैसे कई विद्वान कहते है कि चाचा नेहरू बच्चों से बहुत ही प्रेम करते थे। जिससे उन्होंने बाल दिवस को अपने जन्मदिन के रुप में मनाने का फैसला किया था। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि चाचा नेहरू का ये सोचना था कि कहीं देश उन्हें न भूल जाए इसलिए उन्होंने इसे अपने जन्म दिवस के रुप में चुना था। यह दिन (बाल दिवस) इस बात को याद दिलता है कि हर बच्चा खास है और देश का भविष्य है। वैसे बाल दिवस इस लिए भी खास है क्योंकि यह दिवस हमें हमारा बचपन याद दिलाता है और देश को उसका भविष्य दिखता है। बाल दिवस उन नन्हें - मुन्ने के लिए मनाया जाता है जो भविष्य के सितारे होते हैं।  जब बाल दिवस की बात होती है तो मुझे वे बच्चे याद आते है जो सड़क के किनारे भीख मांग कर अपना पेट भरते हैं। क्या ये देश के भविष्य नहीं नहीं है..?  खै़र मैं कोई राजनीति या किसी व्यक्ति विशेष पर बात नहीं करना चाहता। बस इतना कहना चाहता हूं कि क्या इन बच्चों को पढ़ने का अधिकार नहीं  हैं। बाल दिवस तो बच्चों को समर्पित भारत का एक प्रमुख त्यौहारों में से एक है। वैसे बाल दिवस स्कूल के दिनों को ताजा कर देता हैं। जब बाल दिवस के मौके पर हम सज - धज कर स्कूल जाया करते थे और स्कूल में अपनी मौजूदगी का लौहा मनवाते थे। वैसे अाज भी बाल दिवस पूरे भारतवर्ष में बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। 
इस बाल दिवस के मौके पर इतना ही कहूंगा,  मेरे देश का भविष्य वर्तमान से बेहद अच्छा और खुशहाल हो।


                            संपादक- दीपक कोहली            
   

11 November 2016

-ट्रंप का हुआ व्हाइट हाउस -

                     -ट्रंप का हुआ व्हाइट हाउस -
                                        &
                   -ट्रंप बने विश्व के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति-

अमेरिका को मिला 45वां राष्ट्रपति। आठ सालों के लंबे इंतजार के बाद अमेरिकी रिपब्लिकन पार्टी ने बहुत ही शानदार जीत के बाद वापसी की है। बराक ओबामा के बाद अमेरिका को नया व एक अच्छे राष्ट्रपति की जरुरत थी। जो अमेरिका को मिल गया है। जी हां अमेरिका के अब अगले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप होंगे। वैसे इस दौड़ में ट्रंप के साथ डेमोक्रेट उम्मेदवार हिलेरी क्लिंटन भी थी। जो ट्रंप से करीब 56 वोटों से हारी। वहीं इस जीत से अमेरिकियों में नई उमंग दिख रही है। इस चुनाव में अमेरिका में पहली बार 20 करोड़ मतदाताओं ने वोट किए।  जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। वैसे डोनाल्ड ट्रंप ने इस चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी का एक नारा भी अपनाया था। जो " अबकी बार ट्रंप सरकार" के नाम से अमेरिका में बेहद ही लोकप्रिय हुआ था। ट्रंप अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति के रुप में शपथ ग्रहण लेंगे। अमेरिका में कुल 538 इलेक्टोरल है। जिसमें इस बार ट्रंप ने 278 इलेक्टोरल जीती हैं। वैसे ट्रंप एक बिजनेसमैन, राजनेता, लेखक, टीवी पर्सनलिटी व एक अर्थशास्त्री भी है। अब देखने वाली बात ये रहेगी कि क्या नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की तरह अमेरिका को एक नई ऊंचाई दे पाइगें। सवाल तो कई है। इन्हीं सवालों में एक सवाल भारत को लेकर भी उठ रहा है। क्या भारत की दोस्ती अमेरिका से बनी रहेगी...? क्या अब अमेरिका भारत का साथ देगा...? वैसे इस विषय पर भारत के कई विषेशज्ञों का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप भारत का साथ हमेशा देते रहेंगे। वहीं कुछ विषेशज्ञ का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप भारत विरोधी है। वैसे अगर देखा जाए जब से मोदी प्रधानमंत्री बने है तब से भारत के अमेरिका के साथ अच्छे रिश्ते दिख रहे हैं। अब देखने वाली बात ये है कि अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद भारत के रिश्ते कैसे रहेंगे। वहीं अमेरिका में इस जीत के बाद जो एक नया माहौल देखने मिल रहा है। जहां जनता में एक अलग ही जोश-जज्बा दिख रहा है। तो वहीं जब से अमेरिका में ट्रंप की जीत हुई है तब से अमेरिकी युवाओं में खुशीयों की लहर देखने को मिल रही है। हम आपको बात दें कि अमेरिका में राष्ट्रपति का कार्यकाल मात्र चार साल का होता है। इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा थे। जो लगातार आठ साल तक बनें रहे। जिन्होंने अपने कार्यकाल में आतंकी ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था। बराक ओबामा अमेरिका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति है। जो लगातार आठ साल तक रहे। अमेरिका में चुनाव प्रत्येक चार साल बाद अप्रत्यक्ष निर्वाचन पद्धति के तहत दो से आठ नवंबर के बीच के मंगलवार को होते हैं। वैसे अमेरिका में दो से आठ नवंबर के मध्य आने वाला मंगलवार चुनावी दिवस के रुप में मनाया जाता है। अमेरिका में पहली बार चुनाव 1789 में हुए थे। तब प्रथम राष्ट्रपति जार्ज वॉशिगटन बनें थे। अमेरिका में चुनाव वहीं लड़ता है जो 35 वर्ष और वहां का मूल स्थानीय निवासी हो या फिर 14 सालों से वहां रह रहा हो। वैसे यहां दो ही पार्टी चुनाव लड़ती है। 


                                                          संपादक- दीपक कोहली 


  

07 November 2016

* मॉं सरस्वती *

* माँ सरस्वती *

तुम हंसवाहिनी तुम सरस्वती,
तुम ही विद्दा - वाहिनी।।

तुम सुर - तुम विद्दा,
तुम ही संगीत वाहिनी।।

तुम ज्ञान - तुम विज्ञान ,
तुम ही मनोविज्ञान।।

तुम रूप -तुम सुन्दर,
तुम ही रूपवाहिनी।।

तुम शांति - तुम शीतल ,
तुम ही शांति- वाहिनी।।


तुम वीणा - तुम बांसुरी ,
 तुम ही वीणा- वाहिनी।।

                    कवि- दीपक कोहली

02 November 2016

- मेरी जन्मभूमि की पहचान -

- मेरी जन्मभूमि की पहचान  -

पर्वतों का प्रदेश, लहरों का ऑंगन,
फूलों की वादी, नदियों का अॉंचल,
यहीं है मेरी जन्मभूमि की पहचान।।

हवा की लहरें, फलों की मीठास, 
सुन्दरता की चमक, वनों का सौन्दर्य,
यहीं है मेरी तपोभूमि की पहचान।।

खेतों की फसल, अॉंगन की सब्जी,
घरों में मंदिर, मंदिरों की मूर्तियॉं,
यहीं है मेरी देवभूमि की पहचान।।


                         कवि - दीपक कोहली


18 October 2016

।। गर्व।।




ना दौलत पर गर्व करता हूं,
ना शौहरत पर गर्व करता हूं।
मैं तो अपनी किस्मत पर 
गर्व करता हूं, क्योंकि मैं 
हिंदुस्तान में पैदा हुआ हूं।।

ना तन पर गर्व करता हूं,
ना मन पर गर्व करत हूं।
मैं तो अपने आप में गर्व 
करता हूं क्योंकि मैं 
हिंदुस्तान में पैदा हुआ हूं।।

ना धर्म पर गर्व करता हूं,
ना कर्म पर गर्व करता हूं।
मैं तो उस माता पर गर्व करता 
हूं, जिसने मुझे अपनी गोद 
में पैदा होने का मौका दिया।।

    कवि- दीपक कोहली 


15 October 2016

लिखता हूँ एक कविता, कुछ लाइनों में....।।



लिखता हूँ एक कविता, कुछ लाइनों में,
एे मेरे वतन, तेरे उन जवानों के लिए।
जिन्होंने अपने सीना चीर दिया गोलियों से,
और नहीं आने दी तेरे अॉंगन में कोई दरार।।


मुझे भी शौक था तेरी रक्षा करने का, 
पर साथ नहीं दिया इस शरीर ने।
ऐ मेरे वतन उन जवानों की मेरा सलाम,
जिन्होंने तेरे लिए अपनी कुर्बान दी।।


उन पहाड़े & जंगलों में रहने का शौकीन था,
मैं भी, पर क्या बताऊ मॉं ने मुझे कबूला नहीं।
ऐ मेरे वतन उन जवानों को मेरा नमन,
जिन्होंने तेरे लिए अपना बलिदान दिया।

आग & पानी से खेलना चाहता था तेरे लिए
लेकिन उस खुदा को कबूल नहीं था मेरा यह खेल
जिसने बना दिया मुझे एक कवि और एक मेल
ऐ मेरे वतन तेरे उन जवानों को मेरा एक संदेश
जिन्होंने हमारे जान के लिए अपनी जान की बाजी 
लगाई है।

लिखता हूँ एक कविता, कुछ लाइनों में....।।

   

  कवि- दीपक कोहली 

14 October 2016

वतन

                                  वतन 

आज क्यों भूल गये हम,
उन क्रांतिकारियों को।
जो इस वतन के लिए,
लड़े और शहीद हुए।।

उनका एक-एक कतरा,
इस देश के बदन में है।
जो लोग इन्हें भूल गए,वो 
याद करें इनकी कुर्बानी।।

चढ़ गए वतन के लिए ,
कोई फांसी तो कोई जेल।
वतन को कर आजाद,
हमें दे डाली खुशियां।।

 कवि - दीपक कोहली 

08 October 2016

-एक बार फिर दादरी कांड में लगी आग-

                  -एक बार फिर दादरी कांड में लगी आग-

जी हां...एक बार फिर दादरी कांड में लगी है आग। आपको बता दे कि एक साल पहले नोएडा दादरी के बिसाहड़ा गांव में जो गौमांस कांड हुआ था। वो एक बार फिर सुर्खियों मे आ गया है। जिसके चलते पूरे दादरी में सन्नाटा छाया हुआ है। ये सन्नाटा इस बात का है कि गौहत्या का आरोपी अखलाक को मौत की घाट सुलाने वाले आरोपी रवि की जेल में मौत होने के कारण पूरे दादरी में तनाव की माहौल बना हुआ है। वहीं एक तरफ ये बताया जा रहा है कि गौहत्या का आरोपी अखलाक का परिवार व कई मुस्लीम परिवार अपने घर छोड़ चले गए है। वैसे तनाव इस बात पर हुआ है कि अखलाक का हत्यारा रवि की मौत कैसे हुई और क्यों हुई। जिसके चलते पूरे बिसाहड़ावासियों में रोष देखने को मिल कहा है। वहीं एक तरफ पूरे गांव ने यूपी सरकार का पुतला फूंक साफ संदेश दे किया है कि रवि की मौत की जांच की जाए। एक ओर कई नेताओं का साथ भी इन गांव वालों को मिलता नज़र आया तो दूसरी ओर प्रशासन इन्हें समझाता नज़र आया। जहां एक तरफ स्थानीय लोगों का कहना है कि हमारे बच्चे जेल में भी सुरक्षित नहीं है। तो वहीं आरोपी रवि के मौत के बाद रवि के परिवार वालों का कहना है कि हमें 50 लाख मुआवजा दिया जाए और जेलर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए साथ ही आरोपी रवि की पत्नी का कहना है कि उसे नौकरी दी जाए। वही कुछ ग्रामीणों का कहना है कि रवि की मौत के पीछे अखलाक का भाई जान मोहम्मद का हाथ है। जिसे गिरफ्तार करना चाहिए। वहीं अगर अधिकारियों की मानें तो रवि पिछले कई दिनों से बीमार था। वहीं शुक्रवार को रवि का अंतिम संस्कार कर दिया गया। लेकिन रवि की मां अभी भी खासी  नाराज है। जहां एक तरफ सरकार ने रवि के परिवार वालों को 20 लाख रूपये देने की घोषणा की, लेकिन फिर भी रवि की मां का कहना है कि जब तक रवि के हत्यारों को सजा नहीं होती तब तक हमारा अनशन जारी रहेगा। अब देखने वाली बात ये रहेगी कि क्या सरकार इन आरोपियों को कब तक मुआवजा देती रहेगी। सवाल कई उठते है। क्या सरकार के पास इतना पैसा है कि किसी को भी मुआवजा दिया जाए। मेरा एक सवाल है कि आपस में लड़ने वालों को क्यों सरकार मुआवजा देती है। पहले आरोपियों को गिरफ्तार किया जाता है और अगर कोई आरोपी जेल या किसी कारण वश मर जाता है तो फिर उसके परिवार वालों को सरकार मुआवजा दे देती है। ये क्या है.....किसी को भी सरकार मुआवजा दे देती है। वैसे हमारे सरकार को इस सोचना चाहिए। वहीं अगर कोई सैनिक की मृत्यु होती है तो सरकार उसके परिवार वालों एक मेडल देकर सम्मानित तो कर देते है लेकिन कोई धन राशि मुआवजे में नहीं देती है। वैसे आप समझ तो गए ही होगें की मैं क्या कहना चहता हूं।।

27 September 2016

मैं कौन हूं...?


मैं कौन हूं, मुझे पता नहीं..।
मैंने पूछा सब से तो, 
बताया किसी ने नहीं।।

मैंने फूलों से पूछा तो, 
फूलों ने कहां भवरों से पूछो।।

मैंने भवरों से पूछा तो,
भवरों ने कहां चिड़ियों से पूछो।।

मैंने चिड़ियों से पूछा तो,
चिड़ियों ने कहां शिकारियों से पूछो।।

मैंने शिकारियों से पूछा तो,
 शिकारियों ने कहां जंगल से पूछो।।

मैंने जंगल से पूछा तो,
जंगल ने कहां पर्वतों से पूछो।।

मैंने पर्वतों से पूछा तो,
पर्वतों नो कहां आसमां से पूछो।।

मैंने आसमां से पूछा तो,
आसमां ने कहां धरती से पूछो।।

मैंने धरती से पूछा तो,
धरती ने कहां पाताल से पूछो।।


मैंने पाताल से पूछा तो,
पाताल ने कहां आत्मा से पूछो।।

मैंने आत्मा से पूछा तो,
आत्मा ने कहां तुम कठपुतली हो।।

        कवि- दीपक कोहली

25 September 2016

शराब



ये मेरी पहाड़ की बदकिस्मती है,
जो यहां शराब मिलती है।

किसी के बुझ गए घर के दिये,
तो किसी का घर बन गया श्मशान।

कोई अनाथ तो कोई इकलौता,
बन गए इस शराब से।

ये तो मेरी पहाड़ की बदकिस्मती है,
जो यहां शराब मिलती है।

किसी का बाप मर तो किसी का भाई,
इस शराब के कारण ।

किसी का घर जला तो किसी की आश,
इसी शराब से हुआ मेरे पहाड़ का नाश।

ये तो मेरी पहाड़ की बदकिस्मती है, 
जो यहां शराब मिलती है।


                          दीपक कोहली



22 September 2016

जी रैया - जागी रैया


जी रैया- जागी रैया।
यो दिन - यो मास,
सबकौं भैंठणा रैया।।

धरती जैस चौड़ हैज्या,
अकाश जैस ऊंच।।

जी रैया - जागी रैया, 
फूल जैस खिल रैया।

स्याऊ जैस चतुर हैया,
शेर जैस तेज हैज्या।

यौ दिन यौ मास,
सबकौ भैंठणा रैया।।


                 कवि- दीपक कोहली 

19 September 2016

*मैं तेरा हूं*



मैं तेरा दिल हूं, तू मेरी जान हूं,
मैं एक संसार हूं, तू मेरी सुंदरता है।

मैं तेरा सुर हूं, तू मेरी स्वर है,
मैं एक भक्त हूं, तू मेरी इच्छा है।

मैं तेरा इंद्र हूं, तू मेरी इंद्रा है,
मैं एक बेटा हूं, तू एक  बेटी है।

मैं तेरा किशन हूं, तू मेरी राधा है,
मैं एक चोर हूं, तू मेरी मल्लिका है।

मैं तेरा स्वामी हूं, तू मेरी दासी है,
मैॆ एक बंशी हूं, तू मेरी बांसुरी है।

                      कवि- दीपक कोहली 



15 September 2016

ये वक्त भी क्या है...?


ये वक्त भी क्या है...?
आखिर क्या है ये वक्त

कहां से आया, किधर गया
ये वक्त आखिर क्या है...?

हर गम और हर खुशी 
हर आंसू और हर हंसी
हर खुशबू और हर नगमा
इस वक्त में छिपा हैं।
आखिर क्या हैं ये वक्त...?

गुजरता है या थमता है
हकीकत है या झूठा है
नदियां है या समन्दर है
पहाड़िया है या वादियां है
आखिर क्या है ये वक्त..?

जख्म हो या दर्द 
सदाएं हो या फजाएं
दिवार हो या दरिया 
डाल हो या पेड़ 
आखिर क्या है ये वक्त..?

ये कब आया और 
ये कहां से आया ।
ये किधर गया और 
ये फिर आया ।।
आखिर क्या है ये वक्त..?

                                   कवि- दीपक कुमार

13 September 2016

-मैं और वो-


वो सागर से गहरी ,तो 
मैं सागर का किनारा।
वो कोई छोर नहीं, तो 
मैं कोई चोर नहीं ।।

वो शहर की बस्ती, तो 
मैं गांव का जंगल।
वो शहर की रानी, तो
मैं जंगल का राजा ।।

वो फूलों की कली, तो 
मैं फूलों का कांटा।
वो फूलों की रानी, तो 
मैं फूलों का राजा।।

वो रिश्तों की डोर, तो 
मैं रिश्तों का गांठ।
वो महलो की रानी, तो 
मैं सड़को का राजा।।

वो मेरी चाॅदनी, तो 
मैं उसका चांद।।
वो मेरी कविता, तो
मैं उसका कवि ।



              कवि- दीपक कोहली

-एक नेता से बाहुबली माफिया डाॅन तक-

                 -एक नेता से बाहुबली माफिया डाॅन तक- 
वैसे आपने बिहार के कई नेताओं के बारे में सुना तो होगा ही और कइयों को आप पहचानते भी होगें। उन्हीं में से एक आरजेडी के बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन भी है। जो आजकल ही 10 साल की सजा काट कर जेल से बाहर निकले है। ये बिहार के जिला प्रतापपुर के रहने वाले है। इससे पहले ये एक नामी राजनेता हुआ करते थे। लेकिन आज भी बिहार में इन्हें इनके दबंगई के लिए जाना जाता है। ये बिहार के जाने माने राजनेताओं में गिने जाते है। वैसे इनका राजनीति से ज्यादा अपराध में नाम है। जो ये बताने के लिए काफी है कि ये किस तरह के राजनेता होगें। इन्हें पहली बार 1990 मेंं जनता दल ने विधासभा में टिकट दिया और ये जीत गए। इसके बाद 1995 में फिर ये चुनाव लड़े और जीत गए। जिसके बाद पार्टी में इनका कद काफी बढ़ गया और इसी को देखते हुए इनकी ताकत दुगनी हो गई। जिससे अपराध की दुऩिया में इनके नाम का डंका बजने लगा। जिससे पुलिस औऱ प्रशासन भी इनसे डरने लगे। लेकिन इनके खिलाफ मुकदमे दर्ज होते रहे वहीं पर्याप्त सबूत नहीं होने के कारण इन पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। वहीं इसी दौरान बिहार में इनके इलाके में इनकी मर्जी से पत्ता तक नहीं हिलता था। जब इनका अत्याचार बहुत ज्यादा होने लगा तो तब पुलिस ने इन्हें कई मुकदमे लगाकर गिरफ्तार कर जेल ले गए। तभी 2004 में इन्होंने जेल से ही लोकसभा का चुनाव लड़ा। इसके बाद चुनाव आयोग ने इन्हें चुनाव लड़ने से रोक लगा दी। जिसके बाद इन पर मुकदमा चलना शुरू और इन्हें जेल हो गई। वहीं अब देखने वाली बात ये रहेगी कि क्या ये दुबारा राजनीति में आते है या नहीं। वैसे जेल से बाहर निकलते ही इसका जो बयान आया वो सबको हैरान करने वाला था। अब देखना ये रहेगा कि क्या इनका खौफ दुबारा बिहार को अपना शिकार बनाती है या फिर ये खुद शिकार बनेगें।

11 September 2016

-कहां चले गए मेरे दादाजी-


ना जाने कहां चले गए मेरे दादाजी।
अब कौन देगा, मुझे जेब से टाॅफी,
और कौन बतलाएगा पुरानी बातें।।

ना जाने कहां चले गए मेरे दादाजी।
अब कौन करेगा मुझे प्यार और,
कौन बताएगा मेरी मन की बात।।

ना जाने कहां चले गए मेरे दादाजी।
अब किसे बोलूंगा अपनी दिल की बात,
और किस से सिखूंगा अच्छी आदत।।

ना जाने कहां चले गए मेरे दादाजी।
अब कौन देखा मुझे मेरा जेब खर्च,
और कैसे आइगें वो दिन वापस।।

ना जाने कहां चले गए मेरे दादाजी।।

                       कवि- दीपक कोहली

10 September 2016

-कहीं-कहीं देश मेरा-



            -कहीं-कहीं देश मेरा-
कहीं आरक्षण, तो कहीं भेदभाव,
कहीं जातिवाद, तो कहीं लिंगवाद।
कहीं नक्सलवाद,तो कहीं उग्रवाद,
इन्हीं सब में जल रहा देश मेरा।।

कहीं रेप तो, कहीं गैंगरेप,
कहीं भष्टाचार तो, कहीं आंदोलन।
कहीं घूसखोरी तो, कहीं लूटखोरी,
इन्हीं सब में जल रहा देश मेरा।।

कहीं घोटाले तो, कहीं चापलूसी,
कहीं शराबखोरी तो, कहीं लीसा तस्करी।
कहीं मारपीट तो कहीं चोरी-चकारी,

इन्हीं सब में जल रहा देश मेरा।।

                               कवि-दीपक कोहली

08 September 2016

आखिर क्यों ...छेड़छाड़ और बलात्कार ?

दीपक कोहली
  आखिर क्यों ...छेड़छाड़ और बलात्कार ?


जी.. हां आखिर क्यों...? आज हमारे देश में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और बलात्कार के मामले बढ़ रहे हैं। वहीं आज नारी चार दिवारों में भी सुरक्षित नहीं है। जिसके लिए मैं सभी नारीशक्तियों को वो कानून बताने जा रहा हूं, जो सरकार ने उनके लिए बनाए हैं। जिससे आज भी हमारी नारीशक्ति अंजान हैं। अगर कोई दुष्ट व्यक्ति किसी नारी को अश्लील नज़रों से देखता है या फिर कोई गलत इशारे कर छेड़ रहा हो। तो उस व्यक्ति को भारतीय कानून द्वारा धारा- 509 और 294 के तहत तीन माह की जेल और उस पर कानूनी कारवाई की जाएगी। वहीं अगर कोई दुष्ट व्यक्ति किसी नारी (महिला) के साथ जर्बदस्ती शारीरिक छेड़छाड़ या संबंध बनाने की कोशिश की करता हैं या फिर शारीरिक संबंध बना लेता है। तो उसे धारा-375, 376, 376क, 376ख, 376ग, 376घ के तहत आजीवन कारागास (जेल)  होगी। इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ जर्बदस्ती शारीरिक संबंध बनाता है या फिर 16 साल से कम उम्र की लड़की से संबंध बनाने पर भी यहीं सजा होती है। वहीं अगर आपने किसी लड़की को नशीली पदार्थ या उसे डरा- धमकाकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया तो तब भी यह धारा लागू होती है।       
लेकिन आज भी कुछ महिलाएं इन  बातों से अंजान है कि हमारे लिए भी कोई कानून है। मेरा प्रयास यह कानून उन लोगों तक पहुंचाना है जो आज भी घरेलू हिंसा और पुराने रीति-रिवाज के माहौल में रहते हैं। या फिर रहने को मजबूर है। वहीं देश में रेप केस और बलात्कार दिनपे-दिन बढ़ रहे हैं। जो एक चिंता का विषय है। लेकिन इस विषय के लिए हमारी नारी शक्ति को भी सोचना चाहिए और अपने अधिकारों का पूरा फायदा उठाना चाहिए। जिससे उन पर कोई अत्याचार ना हो। वहीं इस मूद्दे पर विषेशज्ञों की राय दो टूक में है। जहां कुछ विषेशज्ञ मानते है कि देश माँर्डन और पश्चिमी सभ्यता व संस्कृति अपना रहा  है, तो वहीं कुछ लोग इसे कमजोर कानून का नतीजा बता रहे है। जी हां हमें भी यहीं लगता कि देश अपनी संस्कृति और सभ्यता खो रहा है। मेरा ये मानना है कि हमें अपनी संस्कृति और सभ्यता को बनाए रखना चाहिए। जिससे हमें अपनी संस्कृति को आगे ले जाने में मदद मिलेगी। .......


                                                 संपादक- दीपक कोहली 

-वो मेरा हल्द्धानी प्यार-








   -वो मेरा हल्द्धानी प्यार-


वो हमारी संस्कृति का द्धार,
चमकता हल्द्धानी अपार ।।

वो कुमांऊ गीतों का संग्राम,
गुनगुनाता हल्द्धानी मेरा।।

वो बसों में लोगों का इंतजार,
कोई सोया तो, कोई बैठा ।।

वो मेरा हल्द्धानी का प्यार,
बैठे बस में तेरा इकरार।।

वो मेरे दिल से तुझे नमन्,
मेरी मातृभूमि उत्तराखंड।।

                 कवि- दीपक कोहली 

06 September 2016

-उत्तराखंड की पहली गीतकार -

      -उत्तराखंड  की पहली गीतकार -

जी हां जब से उत्तराखंड बना है। तब से कई लोगों ने राज्य के बारे में बहुत कुछ लिखा है। लेकिन आज तक किसी ने इस गायिका के बारे में ज्यादा कुछ नहीं लिखा है। जी हां ये प्रदेश की पहली गीतकार थी।
 क्या कभी आपने सोचा या जानने की कोशिश की कि हमारे राज्य का पहला संगीतकार कौन है..? तो आज मैं आप बताऊंगा की हमारी पहाड़ की पहली गीतकार कौन थी...? जिन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया और जिन्होंने हमारी बोली को एक पहचान दी। जिनका नाम श्रीमती कबूतरी देवी है। जो उत्तराखंड जिला पिथौरागढ़ की मूनाकोट तहसील की क्वीतड़ गांव की रहने वाली थी। जिन्होंने 70-80 के दशक में पहाड़ी गीतों  को पहचान दी। इनके गीतों में इनका एक प्रमुख गीत "आज पनि झां-झां, भोल पनि झां-झां" है। इन्हें राज्य का 'तीजन बाई ' भी कहते है। 70 के दशक में कबूतरी देवी जी ने पहली बार गांव से सीधे स्टूडियो पहुंचकर रेडियो जगत में अपने गीतों की धूम मचाई। वैसे देवी जी ऋतु आधारित गीत ज्यादा गाया करती थी। इनके पति श्री दिवानी राम इनकी काफी मदद करते थे। देवी जी ने लगभग 100 से ज्यादा गाने गाए है। जिन्हें उस समय एक गीत के लिए 25 से 50 रुपये मिला करते थे। सबसे पहले इनके गीत लखनऊ आकाशवाणी से प्रसारित हुआ और कुछ समय बाद मुंबई, नजीबाबाद, रामपुर से भी प्रसारित होने लगे। वर्ष 2002 में इन्हें पिथौरागढ़ के नवोदय पर्वतीय कला केंद्र और अल्मोड़ा लोक संस्कृति कला व विज्ञान शोध समिति ने भी पुरस्कारित किया। देवी जी ने अपने पति की मृत्यु के बाद गाना बंद कर दिया। जिसके बाद वे एक सामान्य जीवन जीने लगें। कहां जाता है कि इन्हें उतनी पहचान इस लिए नहीं मिली क्योंकि देवी जी एक दलित (एससी) परिवार से संबंध रखती थी। जो भी देवी जी ने हमें एक नई पहचान दी। इसके लिए मैं देवी जी को शत्-शत् नमन करता हूं।


                                                                 संपादक - दीपक कोहली 

05 September 2016

* मन की तमन्ना *

                 
मन में तमन्ना है कि,
इस देश के लिए कुछ करु।
पर यहां तो सब मतलबी हैं,
कोई कहता तू हिंदू है, तो 
कोई कहता तू मुस्लिम है।।

मन में तमन्ना है कि, 
इस देश के लिए मर मिटूँ।
पर यहां तोे सब मतलबी है,
कोई कहता तू फकीर है,तो 
कोई कहता तू जहांगीर है।।

मन में तमन्ना है कि,
इस देश के लिए शहीद हो जाऊ।
पर यहां तो सब मतलबी हैं,
कोई कहता तू गरीब है,तो 
कोई कहता तू अमीर है।।

मन तमन्ना है कि,
इस देश के लिए सैनिक बनूं।
पर यहां तो सब मतलबी है,                                  
कोई कहता तू मोटा है, तो 
कोई कहता तू छोटा है।।

                                                                                                                                                                कवि- दीपक कोहली 

*गरीब का बेटा*

                                   *गरीब का बेटा*
मैं गरीब का बेटा, मुझे कौन जानता है,
तू महलों की बेटी, तुझे दुनिया जानती है।

जब आए थे मेरी, अम्मी के आंखों से आंसू,
तब आहट सुनी थी, मैंने तेरे कदमों की ।।

ना जाने हम गरीबों के दुश्मन इतने क्यों,
ना जाने तुम्हारे चाहने वाले इतने कैसे।।

कसूर बस इतना है, मैं गरीब का बेटा हूं,
कसूर बस इतना है, तू महलों की बेटी है।।

खुदा भी छोड़ हम गरीबों को चला गया,
उसे भी अब महलों की आदत बन गई।।


                                 कवि- दीपक कोहली 


02 September 2016

बाबा शंभू

                                         बाबा शंभू

बाबा शंभू नमो-बाबा शंभू नमो,
जट्टाधारी नमो, जट्टाधारी नमो...।।


बाबा शंकर नमो-बाबा शंकर नमो,
रूद्धधारी नमो, रूद्धधारी नमो...।।

बाबा कैलाशे नमो-बाबा कैलाशे नमो,
डमरुधारी नमो, डमरुधारी नमो...।।

बाबा महाकाले नमो-बाबा महाकाले नमो,
त्रिशूलधारी नमो, त्रिशूलधारी नमो...।।

बाबा गिरजा नमो-बाबा गिरजा नमो,
गंगाधारी नमो, गंगाधारी नमो...।।


                                         कवि- दीपक कोहली

वो भी क्या दिन थे...?

                            वो भी क्या दिन थे...?

वो भी क्या दिन थे....?
जब पीया करते थे नौलों का पानी,
और खेला करते थे मडुवे के खेतों में।।


वो भी क्या दिन थे....?
जब भागा करते थे स्कूलों से,
और घर पहुंचा करते थे देर से।।


वो भी क्या दिन थे....?
जब छोटी-सी बातों पर हुआ करती थी लड़ाई,
और फिर थोड़ी देर में बन जाते थे दोस्त।।


वो भी क्या दिन थे....?
जब नहाया करते थे नदियों में,
और मारा करते थे मछलियां।।


वो भी क्या दिन थे....?
जब घर आपस में लड़ा करते थे,
और फिर मम्मी की मार खाया करते थे।।

                                       कवि- दीपक कोहली

30 August 2016

बेटी बचाने निकला देश

                           - बेटी बचाने निकला देश - 


बेटी बचाने निकला मेरा देश।
बस शर्त इतनी है मेरे देश की,
बेटी अपनी नहीं, दूसरे की हो।।

बेटी बचाने निकला मेरा देश।
कहीं शोषण तो कहीं बलात्कार,
 हो रहा यहां पर सब माफ।।

बेटी बचाने निकला मेरा देश।
इसे मां चाहिए - बहन चाहिए,
लेकिन अपनी बेटी नहीं चाहिए।।


                                                  कवि- दीपक कोहली

25 August 2016

*हाथों में तिरंगा *

                       *हाथों में तिरंगा *


मेरे हाथों में तिरंगा हो, 
और होठों में गंगा हो।
यहीं मेरी अंतिम इच्छा है, 
कि मेरा भारत महान हो।।

मेरे आखों में देश छवि हो,
सांसों में यहां की हवा हो।
यहीं मेरी अंतिम चाहत है,
कि मेरा देश महान बने।।

मेरे होठों में हंसी हो,
औऱ हृदय में प्रित हो।
यहीं मेरा अंतिम सपना है,
कि मेरा देश रंगीला हो।।

मेरे कंधों में जिम्मा हो,
और सर पर कफन हो।
यहीं मेरा अंतिम ख्वाब है,
कि मेरा देश विजय हो।। 

                                                     कवि- दीपक कोहली

22 August 2016

*एक कवि*

                 *एक कवि*

        मैंने एक कविता लिखी है,
        जो मैं आपको सुनाता हूँ।।

                         खोए हुए सपनों को मैंने,
                          आंखों में बसाया हैं।।

                         कुछ रंगीन ख्वाबों को,
                         मैंने सांसों में समाया है।।

                          अपनी हर एक जीत,
                          मैंने दिल से लगाई है।।

                             उन कुछ हार से भी,
                           मैंने कुछ अपनाया है।।

                          जिससे मेरा दिल टूटा,
                          और दुश्मन खुश हुए।।
  
                          मैंने एक कविता लिखी,
                          जो मैंने आपको सुनाई।।


                                                                                                 कवि- दीपक कोहली

21 August 2016

*प्रभु भजन*

                            *प्रभु भजन*

प्रभु मुझे तुम ले चलो अपने संग.....।
कभी मथुरा तो कभी विन्दावन,
ले चलो प्रभु... ले चलो प्रभु....।।

प्रभु मुझे तुम ले चलो अपने संग.....।
कभी रामेश्वर तो कभी सोमेश्वर,
ले चलो प्रभु...ले चलो प्रभु....।।

प्रभु मुझे तुम ले चलो अपने संग.....।
कभी बद्री तो कभी केदार ,
ले चलो प्रभु...ले चलो प्रभु....।।

प्रभु मुझे तुम ले चलो अपने संग.....।
कभी परलोक तो कभी नरलोक,
ले चलो प्रभु...ले चलो प्रभु......।।

प्रभु ले चलो अब तो ले चलो...।।

                  
                                कवि-दीपक कुमार 

20 August 2016

*कलयुगी कविता*

                            *कलयुगी कविता*

कबीरा भ्रष्टाचार की लूट है,
तू भी दोनों हाथों से लूट।           नहीं तो फिर पछताएगा,
जब पद जाएगा छूट।।

रहीमन भ्रष्टाचार का राज है,
तू भी नम्बर दो कमा ले।
नहीं तो ईमानदारी के सौदे में,
उठाना पड़ेगा बड़ा नुकसान।।

कबीरा जाने कहां खो गये,
सत्य-धर्म औऱ ईमान।
अब यहां इंसानों के भेष में, 
घूम रहे है शैतान।।

नेताओं के आते-जाते, 
अब जनता हुई परेशान।
करत-करत वादे-घोटाले,
ये होए धनवान ।।


                           

                                                        कवि- दीपक कोहली


18 August 2016

एक रूप मेरा....।

                                एक रूप मेरा....।

सुन्दरता मेरी कश्मीर 
रूप मेरा मद्रासी है।।

केरल जैसी आँखें मेरी,
दिल मेरा दिल्ली है।।

मुस्कान मेरी यूपी तो,
स्वभाव मेरा उड़ीसा है।।

तिलक मेरा उत्तराखंड,
तो हृदय मेरा एमपी है।।

कुंडल मेरे छत्तीसगढ़ी तो,
पायल मेरे मिजोरमी है।।

घाघरा मेरा राजस्थानी,
दुपट्टा मेरा गुजराती है।।

बोली मेरी हिमाचली तो,
चोली मेरी पंजाबी है।।

चाल मेरी हरियाणी तो,
शौक मेरे अरुणाचंली है।।

मुकुट मेरा हिमालय तो,
पैर मेरे कन्याकुमारी है।।

काम मेरा वीरों वाला,
तो नाम मेरा भारती है।। 


                                        दीपक कोहली



16 August 2016

*तुम मेरी पहचान हो*

                                         *तुम मेरी पहचान हो*




मुस्कराती-इतराती तुम मेरी जान हो,
इस दुनिया में बस तुम्हीं मेरी पहचान ।।


कभी अकेले में तो कभी साथ रुलाती हो,
तुम ही मुझे मेरी तमन्ना याद दिलाती हो।।


मुस्कान तुम्हारे चहेरे पर खुदा की इबादत है,
तुम्हीं तो हो जो मेरे सपनों में खेलती हो।।


सांसों से सांस जुड़े है तुम्हारे साथ मेरे,
इस जीवन की नैनों में, मैं साथ रहूंगा तेरे।।

मुस्कराती-इतराती तुम मेरी जान हो...।।
                                


                                                                दीपक कोहली

                  

13 August 2016

मेरी जन्मभूमि

हम उस मिट्टी के है, जहां देवता निवास करते है।
मेरी मातृभूमि नहीं वो, पूरे विश्व की देवभूमि है।।


गंगा-यमुना बहते जिसमें, ऊँचा जहां हिमालय हो।
नमन करु इस भूमि को,केदार सा जहां शिवालय हो।।

जहां घर - घर में गाय माता को, आज भी पूजा जाता है।
वहीं घर- घर में तुलसी माता, आज भी लगी होती है।।


जहां हर पर्वत पे देवता बैठे हो, घर-घर में गोलू पूजा हो।
मिट्टी-पत्थरों से बने मकान हो, लकड़ियों से सजा शमशान हो।।




                                                                               कवि-  दीपक कोहली

11 August 2016

लिखता हूँ एक कविता, कुछ लाइनों में....|



लिखता हूँ एक कविता, कुछ लाइनों में,
ऐ मेरे वतन, तेके उन जवानों के लिए।
जिन्होंने अपना सीना चीर दिया गोलियों से,
और नहीं आने दी तेरे आंगन में कोई दरार।।



मुझे भी शौक था तेरी रक्षा करने करने का,
पर साथ नहीं दिया इस शरीर ने।
ऐ मेरे वतन तेरे उऩ जवानें को मेरा सलाम,
जिन्होंने तेरे लिए अपनी कुर्बानी दी।।



उन पहाड़ों और जंगलों में रहने का शौक था मुझे 
भी, पर क्या बताऊ मां ने मुझे कबूला नहीं।
ऐ मेरे वतन तेरे जवानों को मेरा नमन्,
जिन्होंने तेरे लिए अपना बलिदान दिया।।


आग और पानी से खेलना चाहता था तेरे लिए,
लेकिन उस खुदा को कबूल नहीं था मेरा यह खेल।
जिसने बना दिया मुझे एक कवि और एक मेल,
ऐ मेरे वतन तेरे उन जवानों को मेरा अदामा,
जिन्होंने हमारे लिए अपनी जान बाजी लगाई है।।


लिखता हूं एक कविता, कुछ लाइनों में.............।।




                                                                           दीपक कोहली