जानती हो मेहतराइन!
हमें क्यों इंसानों में
नहीं गिना जाता है ?
क्योंकि हम चुप हैं,
और हमारे कौम सोई हुई है।
इंसान चीखता है...
इंसान चिल्लाता है...
इंसान लड़ता है...
अपने अधिकारों के लिए...
अपने समाज के लिए...
अपनी आवाज के लिए...
पता नहीं! हम कब
इंसानों में गिने जाएंगे ?
लेखक- दीपक कोहली
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