पहली कविता
डिजिटल ने हमारी मलाई ख़ाई
क्या बताऊं बहुत परेशान हूं भाई
पगार को ठर्रे पान तंबाकू में उड़ाता था भाई
अब ऊपरी कमाई मुश्किल हो गई है भाई
डिजिटल ने हमारी मलाई खाई
सब ट्रांजैक्शन डीबीटी करना पड़ता है भाई
सब वीआईपी शौक छोड़ने की नौबत आई
पगार से ही घर चलाना पड़ता है भाई
डिजिटल ने हमारी कमाई खाई
महंगी फीस स्कूलोंसे बच्चोंको बीवी निकाल लाई
ऊपरी कमाई से बहुत उचक्ता था भाई
मोहल्ले रिश्तेदारी में अब इज्जत डाउन हुई
डिजिटल ने हमारी मलाई खाई
एक तरह से बुरे कर्मों का फ़ल भुगतने बच्चा भाई
अब ईमानदारी की रोटी शान से खाऊंगा भाई
सबको ईमानदार बना देना यह भगवान से दुहाई
डिजिटल ने हमारी मलाई खाई
सब से विनती है अब छोड़ दो गलत कमाई
सर ऊंचा कर शान से जियो मेरे भाई
किस्मत ने हमको अच्छा रास्ता दिखाया इसलिए
डिजिटल ने हमारी मलाई खाई
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दूसरी कविता
सक्रिय कार्यकर्ता हूं वसूली भी करता हूं
रैलियों नुक्कड़ सभाओं में भीड़ इकट्ठा करता हूं
अपने नेता के आगे पीछे घूमता हूं
साम-दाम-दंड-भेद कहावत भी चरितार्थ करता हूं
सक्रिय कार्यकर्ता हूं वसूली भी करता हूं
एक इशारे पर मार्केट बंद करवा देता हूं
नेता के समर्थन में नारे भी लगवा देता हूं
जनता सेवा में हमेशा तत्पर रहता हूं
सक्रिय कार्यकर्ता हूं वसूली भी करता हूं
पेट पानी लगा है खाओ खिलाओ करता हूं
प्रशासकीय तंत्र से फुकट में काम करवाता हूं
सामने वालों से हरे गुलाबी वसूलता हूं
सक्रिय कार्यकर्ता हूं वसूली भी करता हूं
अपने कार्यक्षेत्र का बहुत ध्यान भी रखता हूं
किसी को बताना मत दिखावा बहुत करता हूं
माल सूतो अभियान का नेतृत्व भी करता हूं
सक्रिय कार्यकर्ता हूं वसूली भी करता हूं
हर काम ईमानदारी से करता हूं
भ्रष्टाचारी ऑफिसरों को स्टिंग से फंसाता हूं
किसी को बतानामत फिर सेटिंग से छुड़वाता हूं
सक्रिय कार्यकर्ता हूं वसूली भी करता हूं
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तीसरी कविता
यह उसका निजी बयान है ऐसा बोल देता हूं
पार्टी के पदाधिकारी को बयान देने बोलता हूं
तीर निशाने पर लगे तो सही है बोलता हूं
कोई विवाद हो जाए तो प्लान बदल देता हूं
यह उसका निजी बयान है ऐसा बोल देता हूं
शाब्दिक बाण हमेशा स्टॉक में रखता हूं
नहले पर दहला मारने बोलता हूं
बात बिगड़ गई तो यू-टर्न ले लेता हूं
यह उसका निजी बयान है ऐसा बोल देता हूं
अक्सर चुनाव के समय बयान तीर से छोड़ता हूं
बयान देने वालों की चैनल बनाता हूं
दांव उल्टा पड़ गया तो पलट जाता हूं
यह उसका निजी बयान है ऐसा बोल देता हूं
शाब्दिक दांवपेचों का खेल खूब खेलता हूं
मान सम्मान गिराने के दांवपेच खेलता हूं
उल्टा चोर कोतवाल को डांटे टेढ़ा पड़ा तो
यह उसका निजी बयान है ऐसा बोल देता हूं
मेरे धुर विरोधी विचारधारा वाले भी खेलते हैं
प्री प्लानिंग से उल्टा सीधा सब बोलते हैं
फायदा हुआतो ठीक नुकसान की बात आईतो
यह उसका निजी बयान है ऐसा बोल देता हूं
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चौथी कविता
मिलीभगत से जप्त माल को बदल देता हूं
पद दम पर हरेगुलाबी निकालने दिमाग लड़ाता हूं
जप्त मदिरा ड्रमों में पानी भरवा देता हूं
मानवीय जीवन की वैल्यू नहीं करता हूं
मिलीभगत से जप्त माल को बदल देता हूं
शासकीय पॉमऑयल जब्तीकर ऑफिस लाता हूं
सेटिंग कर चुपके से हरे गुलाबी लेता हूं
नहीं माना तो कार्रवाई कर केस बनाता हूं
मिलीभगत से जप्त माल को बदल देता हूं
अनेक अवैध मालों को जब जब्ती बनाता हूं
सेटिंग कर अंदर खाने बेच देता हूं
रिकॉर्ड में नॉमिनल जब्ती दिखाता हूं
मिलीभगत से जप्त माल को बदल देता हूं
प्लास्टिक बंदी से डिस्पोजल झिल्ली पकड़ता हूं
रिकॉर्ड में जब्ती बहुत कम दिखाता हूं
हरे गुलाबी लेकर बाकी छोड़ देता हूं
मिलीभगत से जप्त माल को बदल देता हूं
पूरी हेराफेरी ऐसे ही नहीं करता हूं
मिलीभगत का पक्का भरोसा पाता हूं
हिस्सेदारी बराबर ऊपर तक पहुंचाता हूं
मिलीभगत से जप्त माल को बदल देता हूं
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पांचवी कविता
मासिक शासकीय पगार चौदह हज़ार है
भ्रष्टाचार की कृपा से मुझे धन अपार है
इंडिगो कार फ़्लैट प्लाट अपरंपार है
घर में हरे गुलाबी के पहाड़ है
मासिक शासकीय पगार सिर्फ़ चौदह हज़ार है
मेरे पास दिमाग नहीं यह सेटिंग का आधार है
काम रेटफिक्सिंग के अनेकों प्रकार है
अंदर खाने प्राइवेट काम भी अपार है
मासिक शासकीय पगार सिर्फ़ चौदह हज़ार है
चौदह हज़ार पंद्रह दिन निजी खर्चे का जुगाड़ है
मदिरा तंबाकू खर्रा के शौक अपार है
ऊपरी कमाई की मलाई जोरदार मजेदार है
मासिक शासकीय पगार सिर्फ़ चौदह हज़ार है
गरीब आदमी हूं यह सबसे बड़ा हथियार है
अंदर खाने सेठों को मात देने धन कुबेर तैयार है
शासन को मालूम है कार्यवाही नहीं हमारी पार है
मासिक शासकीय वेतन सिर्फ़ चौदह हज़ार है
मौसेरे भाइयों की मालकी में मेरा व्यापार है
भ्रष्टाचार के करोड़ों लगे हैं मलाई अपरंपार है
शासन जनता एजेंसियां चुप हैं हमारी किस्मत है
मासिक शासकीय पगार सिर्फ़ चौदह हज़ार है
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छठी कविता
भ्रष्टाचार की पोल खोलते रहेंगे
चुनाव हारे तो क्या हुआ जनता सेवा करते रहेंगे
विपक्ष में रहकर कठोर सजग प्रहरी बनके रहेंगे
विपक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे
भ्रष्टाचार की पोल खोलते रहेंगे
पहले भी पकड़वाए थे पकड़वाते रहेंगे
हरे गुलाबी के पहाड़ खोज़ते रहेंगे
शासन-प्रशासन मिलीभगत उद्गार करते रहेंगे
भ्रष्टाचार की पोल खोलते रहेंगे
जनता में जाके बोलते थे बोलते रहेंगे
गरीबों का काम करते थे करते रहेंगे
शासन-प्रशासन मिलीभगत चक्र तोड़ते रहेंगे
भ्रष्टाचार की पोल खोलते रहेंगे
जबतक है दम जनता से हमेशा जुड़ते रहेंगे
अभी लड़े हैं 2023 में 9 राज्यों में लड़ते रहेंगे
समय आया तो रिकॉर्ड ज़ड़ते रहेंगे
भ्रष्टाचार की पोल खोलते रहेंगे
लेनदेन की फोन आएगी तो टेप करते रहेंगे
थोथा चना बाजे घना बोलते रहेंगे
नाच ना आवे आंगन टेढ़ा कहते रहेंगे
भ्रष्टाचार की पोल खोलते रहेंगे
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सातवीं कविता
अभी-अभी भ्रष्टाचार केस में सस्पेंड हुआ हूं
शासकीय नौकरी में बहुत माल कमाया हूं
चकरे खिला खिला कर जेब ढीली किया हूं
भ्रष्टाचार के क्षेत्र में बहुत नाम कमाया हूं
अभी-अभी भ्रष्टाचार केस में सस्पेंड हुआ हूं
सस्पेंड होने से परेशान नहीं संतुष्ट हुआ हूं
घर में हरे गुलाबी के पहाड़ बनाया हूं
फ़िर ज्वाइन होने की जुगाड़ भिड़ाया हूं
अभी-अभी भ्रष्टाचार केस में सस्पेंड हुआ हूं
कॉलर टाइट ठस्के से समाज में खड़ा हूं
सामाजिक कार्यों में बहुत डोनेशन चढ़ाया हूं
करोड़ों इन्वेस्टमेंट कर लाखों ब्याज खाता हूं
अभी-अभी भ्रष्टाचार केस में सस्पेंड हुआ हूं
जिंदगी में हरे गुलाबी दोहान का मंत्र पाया हूं
सालों से शासन का अनुभवी पका पकाया हूं
शासन की तिजोरी खाली करने में माहिर हूं
अभी-अभी भ्रष्टाचार केस में सस्पेंड हुआ हूं
कुछ दिनों में लग जाऊंगा आश्वासन पाया हूं
हरे गुलाबी पहाड़ से कुछ चढ़ावा चढ़ाया हूं
बस ईडी एजेंसियों के डर से जी रहा हूं
अभी-अभी भ्रष्टाचार केस में सस्पेंड हुआ हूं
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आठवीं कविता
क्योंकि मैं शासन का जँवाई राजा हूं
शासन का ठस्के वाला कर्मचारी हूं
जनता पर धौंस खुलेआम जमाता हूं
अपने पद का दुरुपयोग करता हूं
क्योंकि मैं शासन का जँवाई राजा हूं
गया जमाना जब जनतासेवक थाअब जमाई हूं
अच्छे अच्छों के काम लटकाता हूं
मिलीभगत से पद की सुरक्षा पाता हूं
क्योंकि मैं शासन का जँवाई राजा हूं
प्रक्रिया में डिस्क्रीएशनरी पावर रखता हूं
ठाठ बाट ऐश एयाशी से रहता हूं
जनता से बहुत जीहुजूरी मस्कापॉलिश पाता हूं
क्योंकि मैं शासन का जँवाई राजा हूं
किसी की इज्जत करतानहीं वल्कि करवाता हूं
सेठ लोगों से हरे गुलाबी जुगाड़ करता हूं
गरीबों मीडियम क्लास को चकरे खिलाता हूं
क्योंकि मैं शासन का जँवाई राजा हूं
ऊपर मलाई पहुंचाके जवाई का रुतबा पाता हूं
शासन को ससुराल और पद को माल सूतो यंत्र
और चेयर से रुतबे की लाठी चलाता हूं
क्योंकि मैं शासन का जमाई जँवाई राजा हूं
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नौवीं कविता
मैं भ्रष्टाचारी कहलाता हूं
अपने बच्चों को महंगे स्कूल में पढ़वाता हूं
हरदम ऐश ऐयाशी का जीवन जीता हूं
मासिक वेतन सिर्फ दस हज़ार पाता हूं
इसलिए मैं भ्रष्टाचारी कहलाता हूं
जनता को बहुत चकरे खिलाता हूं
घुमाकर हरे गुलाबी बहुत सारे लेता हूं
आलीशान बिल्डिंग फ्लैट प्लाट का मालिक हूं
मैं भ्रष्टाचारी कहलाता हूं
मेरा वेतन केवल दिखाने का काम है
ऊपर से लाखों की गिफ्टें कैश लेता हूं
उल्टे सीधे तिकड़म से शासनको चूना लगाता हूं
मैं भ्रष्टाचारी कहलाता हूं
पास पड़ोसवाले समझगए हैं काली कमाई लाताहूं
पैसों के बल पर सम्मान इज्जत पाता हूं
पावर का गलत इस्तेमाल करता हूं
मैं भ्रष्टाचारी कहलाता हूं
फलमिला बच्चे बीवी बीमार हुई पछताता हूं
परिवार के रग-रग में भ्रष्टाचारी ख़ूनहै समझताहूं
भ्रष्टाचार से अब कान पकड़कर तौबा किया हूं
फ़िर भी मैं भ्रष्टाचारी कहलाता हूं
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दसवीं कविता
परंतु उनकी तारीफ़ करके प्रोत्साहन क्यों दें
उस सरकार की शिक्षा स्वास्थ्य नीति ज़बरदस्त है
हमारी पार्टी तहे दिल से समझती है
अंदरखाने हम उनकी तारीफ़ करते हैं
परंतु उनकी तारीफ़ करके प्रोत्साहन क्यों दें
हालांकि इलेक्शन में जो ख़ास टक्कर दे रहे हैं
अंदर से हम उनसे बहुत घबराए हुए हैं
आरोपों से जोरदार पटकनी दे रहे हैं
परंतु उनकी तारीफ़ करके प्रोत्साहन क्यों दें
एक से दो बने हैं हमारे भविष्य को तकलीफ है
तीसरा बनाने की जोरदार प्लानिंग है
शिक्षा स्वास्थ्य नीति की विदेशों में भी तारीफ़ है
परंतु उनकी तारीफ़ करके प्रोत्साहन क्यों दें
रिजल्ट लिख कर देने का जज़्बा और दम है
मानते हैं कॉन्फिडेंस हिम्मत जबरदस्त है
मानते हैं शानायिते जोरदार पढ़े लिखे हैं
परंतु उनकी तारीफ़ करके प्रोत्साहन क्यों दें
अंदरखाने उनकी नीतियोंपर चलनेकी प्लानिंग है
मीडिया में उनका स्टेटस गिराने की चालिंग है
मनोबल तोड़ने नेगेटिव एप्रोच का डोज़ देना है
परंतु उनकी तारीफ़ करके प्रोत्साहन क्यों दें
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कवि- किशन सनमुख़दास भावनानी
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