साहित्य चक्र

13 December 2022

कविताः जीना है तो ऐसे जियो....




बनना है तो किसी की ताकत बनो 
किसी की कमज़ोरी नहीं
बनना है तो हर किसी की प्रेरणा बनो
कभी किसी की मजबूरी नहीं...

हर किसी  की दुःख की दवा बनो
किसी के दर्द का कारण नहीं
देना है तो औरों के चेहरे पे मुस्कान दो
किसी के आखों में गम के आसूं नहीं 

त्याग करना है तो अपने क्रोध का करो 
अपने  रिश्ते की नहीं...

पाना है तो उसे पाओ जो आपका लक्ष्य हैं
उसे नहीं जिससे आपकी जिंदगी खराब हो,

बनना है तो हर किसी के दोस्त बनो
किसी का  दुश्मन नहीं 
देना है तो सभी को  शुभ आशीष दो 
किसी को बददुआ नहीं...

जलाना है तो अपनी बुराइयों को जलाओ 
अपनी अच्छाई को नहीं 
करना है तो जिंदगी में संघर्ष करो
किसी से छल कपट नहीं... 

पाना है तो अपने मंजिल को पा लो 
आलस को त्याग कर आगे बढ़ो 
जीना हैं तो ऐसे जियो, कि
हर किसी को नाज हो तुझ पर 

खुद को इस तरह काबिल बना लो 
कोई कुछ बोलने से पहले सोचे 
एक नया इतिहास रचो अपने जीवन में, 
इस तरह बनो अपने जीवन में 

निभा सको तो  सच्चे वादे करो 
वरना किसी को धोखा मत दो जीवन में,
बनना है तो सबका प्यार बनो
कभी किसी की नफरत नहीं... 


                                  - मनीषा झा 


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