साहित्य चक्र

16 December 2022

मछेरा और जिन्न

एक मछेरा था उसके बीबी और चार बच्चे थे। मछली पकड़ कर सबका पेट पालता था पर मछलियां रोज़ कम ही मिलती। उसकी बीबी रोज़ रोती और कोसती पर मछेरे का उसूल था तीन बार ही पानी में जाल फेंकता था चौथी बार नहीं फेकता जिसकी वजह से कुछ ही मछलियां हाथ आतीं।जो मिलता उसी को पका कर आधा पेट भोजन करते थे। 





एक दिन उसकी बीबी बहुत गुस्सा हुई बोली मैं खुद भी मर जाउंगी और बच्चों को भी मार दूंगी तुम रोज़ रोज़ हमें भूखा रखते हो! ये तुम्हारा आलस ही है जो हम गरीबी के दिन देख रहे हैँ। ऐसा कह कर रोने लगी। मछेरे को गुस्सा आया वो भी उल्टा सीधा बोल कर समन्दर की ओर चल पड़ा। उसने कसम खाई अगर आज भी भर पेट मछलियां न मिली तो खुद समन्दर में कूद जाऊंगा। उसने एक बार जाल फेंका तो हड्डियाँ निकली दूसरी बार जाल फेंका तो पत्थर आ गए वह दुखी हुआ तीसरी बार ईश्वर का नाम ले  जाल फेंका तो बहुत वजनी चीज जाल में आयी। वाह ख़ुशी से नाचने लगा जल खिंचा तो कुछ मछलियों के साथ एक पीतल की सुराही निकली। वाह सोच में पड़ गया सुराही खोल के देखी तो उसमे धुँवा निकला वह डर गया।


फिर एक नीले बदन का बड़ी बड़ी आँखों वाला जिन्न निकला। जिन्न जोर से हँसा - हाहाहा! आज हज़ारो साल बाद मैं क़ैद से रिहा हुआ। शुक्रिया ऐ नेक दिल इंसान बता तुझे क्या चाहिए!

मछेरा डरा  फिर डरते हुए बोला - तुम कौन हो! इस सुराही में कैसे आ गए!
जिन्न बोला - मैं एक जिन्न हुँ हज़ारो साल पहले एक जादूगर ने मुझे सुराही में क़ैद कर दिया था। आज तुमने रिहा कर दिया। बोल तुझे क्या चाहिए! मैं वो सब दूंगा।

मछेरा खुश होके बोला - क्या क्या दे सकते हो? हीरे सोना चांदी अशरफियाँ ? जिन्न - हा मेरे मालिक मैं ये सब दे सकता हुँ  हाहाहा तू बोल कर तू देख! पर सुन ज्यादा लालच नहीं करना। लालच इंसान को राक्षस बना देता है।

मछेरा खुश हुआ और बोला - ठीक है तू मुझे हीरे सोना अशरफियाँ सब देदे। जिन्न - जो हुकुम मेरे आका! ऐसा बोल कर हवा में हाथ हिलाता है तू आसमान से हीरे सोने की अशरफियाँ गिरने लगती हैँ। मछेरा ये देख कर ख़ुशी से नाचने लगता है चिल्लाता है - और दे.. और दे! धीरे धीरे वाह हीरो और सोने में आधा ढक जाता है। फिर भी कहता रहता है - जिन्न और दे और दे!

जिन्न भी उसके कहे अनुसार अशरफियाँ बरसाता रहता है। मछेरा अशरफियों में पूरा  ढक जाता है उनके वजन से वह दबने लगता है। वाह चिल्लाता है - बचाओ बचाओ! पर जिन्न को आवाज़ नहीं आती और मछेरा अपने ही लालच में मारा जाता है।



                                              - मीनाक्षी वर्मा


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