साहित्य चक्र

26 December 2022

कविताः मौत से कह दो चली जाए




काम अभी बाकी पड़े हैं कुछ मेरे,
मौत से कह दो कि वो चली जाए।

जब तक कर लूं ना दीदार यार का,
मौत सामने मेरे ना नज़र कभी आए।

देख उसके चेहरे को खिला मिले सुकून,
दिलदार की वो प्यारी सी हंसी लुभाए।

उम्र बीती सारी विरह में तड़पते हुए,
आजा कि मिलन की प्यास बढ़ी जाए।

है ख़फ़ा यार मुझसे,नहीं मनाने का इल्म,
उसे मनाने का मुझे हुनर तो कोई बताए।

जान भी कर दूं कुर्बान उसके लिए मैं तो,     
एक बार जो वो मेरे सामने बेपर्दा चली आए।    
             
कहता हूं खा के कसम तेरे सिवा ना कोई दिलबर,
तेरे प्यार में प्रेम को बहुत बेखुदी सताए।

 
                    - प्रेम बजाज


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