रसगुल्ला अर्थात् रस से भरा गुल्ला, एक ऐसी मिठाई है कि नाम लेते ही ऐसा लगता है मानों बंगाल की मिठास मुंह में घुल गयी। अधिकांश मीठा प्रेमी की प्रिय मिठाई है। चूंकि इसका आविष्कार बंगाल में हुआ अतःइसका नाम लेते ही बंगाल का नाम भी स्वतः जुड़ जाता है।
रसगुल्ला के अविष्कारक नवीन चंद्र दास का जन्म 1845 कोलकाता में हुुआ जन्म के दो माह पूर्व इनके पिता दिवंगत हो गये थे अतएव एक पितृहीन बालक नाना कष्टों को सहते हुये 15 वर्ष तक अपनी माँ के साथ रिश्तेदारों के बीच रहे उसके बाद किसी प्रसिद्घ हलवाई के पास काम करने लगे।
उसके बाद 1864 में उसी के दुकान के सामने अपनी दुकान खोली।
कहते हैं सन्1868में बागबाजार में हलवाई नवीनचंद्र दास अनमनस्यक बैठे थे ,उन्होंने खौलते हुये चीनी के शिरा में छेने की गोली डाल दी,वह उबलते रहा बाद में उनकी नजर पड़ी तो निकालकर देखा बिल्कुल नरम और स्पंज जैसी चीज तैयार ।तब स्वाद देखा वह भी बढिया तो उन्होंने इसका नाम "रोशोगोल्ला" रख दिया ।
यहीं से रसगुल्ला का आविष्कार हुुआ । उन्होंने और भी बहुत सी मिठाइयों का आविष्कार किया जैसे आम संदेश, कटहल संदेश, कडा पाक संदेश,देदो संदेश रसमलाई आदि। इनके रसगुल्लों की प्रसिद्धि में एक भगवान दास वागला नामक विख्यात मारवाड़ी व्यक्ति का योगदान है। वे एक दिन मिठाई दुकान के सामने गाडी रोक कर अपने प्यासे पुत्र को पानी पिलाने उतरे, चूंकि केवल पानी देना रिवाज नहीं तो दुकानदार ने दो रसगुल्ले भी दे दिये। बच्चा खाकर बहुत खुश हुआ पिता से भी चखने को कहा पिता खाते ही बहुत प्रसन्न होकर एक हांडी भर रसगुल्ला खरीद ले गये ।वहां से ही रसगुल्ला का प्रचार प्रारम्भ हुआ।
नवीन चंद्र दास के पुत्र कृष्ण चंद्र दास थे। कृष्ण चंद्र दास के छोटे बेटे शारदा चरण दास जो वैज्ञानिक सी वी रमण के सहयोगी भी रह चुके थे उन्होंने तत्कालीन अंग्रेजी मुहल्ला जिसे आजकल धर्मतल्ला या एसप्लैनेड कहा जाता है ,में के सी दास के नाम से मिठाई की दुकान खोली ।अब भी कोलकाता में धर्मतल्ला के मोड़ पर अब भी जो K C Das &Sonsकी जो दुकान है उन्हीं के द्वारा स्थापित किया हुआ है अब इनके नाती पोते चलाते हैं।
- सुधा मिश्रा द्विवेदी
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