साहित्य चक्र

26 December 2022

कविताः नए साल के पँख पर



बीत गया ये साल तो, देकर सुख-दुःख मीत !

क्या पता? क्या है बुना ? नई भोर ने गीत !!


माफ़ करे सब गलतियां, होकर मन के मीत !

मिटे सभी की वेदना, जुड़े प्यार की रीत !!


जो खोया वो सोचकर, होना नहीं उदास !

जब तक साँसे हैं मिली, रख खुशियों की आस !!


खिली-खिली हो जिंदगी, महक उठे अरमान !

आशा है नव साल की, सुखद बने पहचान !!


छँटे कुहासा मौन का, निखरे मन का रूप !

सब रिश्तों में खिल उठे, अपनेपन की धूप !!


दर्द दुखों का अंत हो, विपदाएं हो दूर !

कोई भी न हो कहीं, रोने को मजबूर !!


छेड़ रही है प्यार की, मीठी-मीठी तान !

नए साल के पँख पर, खुशबू भरे उड़ान !!



                            -प्रियंका सौरभ 

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