मैं मोहब्बत पूरी करता
अगर जिंदगी अधूरी न होती
मैं ख्वाइश पूरी करता सभी
दरमिया अगर ये दूरी न होती
सोचता न तुझे हद से ज्यादा ,
अगर चाहत जरूरी ना होती।
करके फासला तूने हर पल
मुझसे मुझे ही छीन लिया।
अब क्या बचा इस तन्हाई में भी
मैने खुद से ही नाता तोड लिया।
सोचता हूं अच्छा कटेगा अब सफ़र
क्योंकि हर इच्छा पूरी नहीं होती।
- आशी प्रतिभा
No comments:
Post a Comment