साहित्य चक्र

04 December 2022

कविताः सपनों के पंख


कोशिश की पहली शुरुआत जरूरी है,
कर्म प्रयत्नों में अपनी पहचान जरूरी है,
मिले फलक न तो कोई हार नहीं होगी,
सपनों के पंखों को एक उड़ान जरूरी है।

हार कर अकर्मण्य राही होना नहीं हमको,
खोने पाने की बातों का रोना नहीं हमको।
हौसलों से अपने हम तो भाग्य बदलते हैं,
जो भी हो चाहे हिम्मत खोना नहीं हमको।

समंदर बना कर दिल हम कूद पड़े रण में,
राहों की ठोकर से संभालना हैं पथ में।
पूरा हो न हो बस ये अरमान जरूरी हैं,
सपनो के पंखों को एक उड़ान जरुरी है ।

अनुभव से अपने हम एक चिन्ह तो छोड़ेंगे,
कल के राही को बढ़ने की शान से जोड़ेंगे ,
कल अपना सुधरे ये बलिदान जरुरी है,
सपनों के पंखों को एक उड़ान जरुरी है ।

हार गए गर हम तो यूं न मिट जायेंगे,
कर्म पथिक बन हम मार्ग महकाएंगे।
नित चलने के लिए अरमान जरुरी है,
सपनों के पंखों को एक उड़ान जरुरी है।



                                 लेखिका- कंचन वर्मा


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