साहित्य चक्र

31 December 2022

कविताः नूतन वर्ष





नई नवेली सुबह का स्वागत करती हूंँ ,
ख़ुशियों का अंबार लेकर आओ!
इस वर्ष उम्मीद करती हूंँ ।

महा शक्तियांँ जब टकराईं ,
मन भयभीत हुआ ,
मानव ने मानव का संहार किया,

बीते वर्ष की शुरुआत से
रूस यूक्रेन का युद्ध जारी, 
इस वर्ष विराम हो , आशा करती हूंँ।

पढ़  -  लिखकर सामर्थ्यवान हुए
जग को क्या संदेश दिए ,
 प्रभुता के लिए रक्त पिपासु हुए,

संवेदनशील बन कर आना ,एक -  दूजे को अपनाना ,
संस्कार लेकर आना, सबको सीख देना,
गुणों से दुर्गुणों को दूर करना ,
तुमसे अपेक्षा करती हूंँ ।

खूबसूरत -  सी दुनिया में 
तुम्हारा स्वागत करती हूंँ।

द्वार पर खड़ी चेतना प्रकाश ,
हर्षोल्ल्लास के साथ नई नवेली  सुबह संग ,
नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन करती हूंँ।


                              - चेतना प्रकाश 'चितेरी 


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