लड़कियों के कद बढ़ जाते हैं
रह जाती है पीछे कहीं उम्र उनकी
यह बात जब तक घर वालों को पता चलता है
तब तक घर से निकल लेती है लड़की
अपना सबकुछ समेट कर।
गांव समाज कि मानसिकता ही
कह लिजिए उनके लम्बाई देह से आंकते हैं
उनकी समझ बूझ और वयस्कता
नियम कानून के बावजूद भी
कई वर्षों से मानसिक रूप से ब्याही
जाती है लड़की किसी अनजान लड़के से।
मैं थूकता हूं वैसे समाज पर जिन्होंने
दहेज के डर से अनदेखा किया है
वर वधु के उम्र सोच विचार और शिक्षा को
ब्याही गई हैं कई जवान लड़कियां
वयस्क व्यक्तियों से
खुलकर बोलता है अतीत हमारा।
कुछ नहीं तो होना चाहिए बात विचार
तय होनी कद काठी उम्र समझ
बहुत जरूरी है आज एक लड़की का स्त्री होना
स्त्री से मां होना काफी आसान होता है
लड़की जुझती है अपने आप से ही अक्सर
करना ही नहीं चाहिए लड़की से विवाह।
-आलोक रंजन
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