साहित्य चक्र

30 March 2020

अजीब बीमारी है




तुझे आसान सा समझ बैठे हैं 
यह भारतवासी तू बड़ी जानलेवा है, 
पर तुझे मजाक समझ बैठे हैं।।

 लोग अब भी सड़कों पर घूम रहे हैं 
अपने आप को धोखा दे रहे हैं, 
कोरोना को मजाक कह रहै है।

ना खुद की जान की फिक्र है,
ना दूसरों की इस महामारी को 
एक दूसरों तक पहुंचा रहे हैं।।

देखो पुलिस से मार खाने को  बाहर जा रहे हैं, 
बाहर जाने  से पहले दुनिया का हाल नही देख रहे हैं ।।

अभी भी वक्त है अपने आप को जरा संभाल लो,
अभी भी वक्त है इस देश को संभाल लो जवानो।।

 अजीब बीमारी है पहले ही काफी 
दुरिया थी थोड़ी और बढ़ गई, 
अजीब बीमारी हैं कोरोना।।

 भारत भी बड़ा अजीब है बीमारी को 
जानते हुए भी लोग इकट्ठा हो रहे हैं, 
कोरोना को मजाक मान रहे हैं ।।

                                               नवरतन बंजारा


नहीं खुलती हैं खिड़कियां

*कोराना*



सहमी सी सुबह है,सूनी- सूनी शाम है ।
गतिमान समय में,कैसा ये विराम है ।।


दरवाजे बंद ,नहीं खुलती हैं खिड़कियां ।
सन्नाटा बोलता है,चुप -चुप हैं तितलियाँ।।
दौर कैसा आया,डरे -डरे शहर , ग्राम हैं!
सहमी सी सुबह है,सूनी -सूनी शाम है ।।


लगता था बहुत बड़ा अपना, विज्ञान है ।
संचित है कोष बड़ा ,विश्वव्यापी ज्ञान है।।
छोटा सा कोराना,मचाये कोहराम है।
सहमी सी सुबह है,सूनी सूनी शाम है ।।


पुलिस जवान लाठी ले ,गली -गली घूमते ।।
तालाबंदी देश में,मास्क मुंह को चूमते ।।
विधाता ही जाने ,क्या इसका अंजाम है!
सहमी सी सुबह है,सूनी सूनी शाम है ।।


                                    रागिनी स्वर्णकार

बात - बात पर धमकी देती

मार्ग में बाधा ऐसे दिखती , जैसे कोई हो हाँथी।
खुशहाली  जीवन जीने  को , ढूँढ़ रहे हैं साथी।।

रोज  सवेरे   तेरे  घर  के, चक्कर   हमनें  काटे  थे।
सुख - दुख भी हम मिलजुलकर एक दूजे से बाँटे थे।।

छोड़ गई तुम बीच राह में, मैं भूल तुम्हें ना पाऊँगा।
तुमको  तेरे  बाप  घर  से, उठवाकर  मैं  लाऊँगा ।।

बात - बात  पर  धमकी  देती, शाम - सवेरे मरने की।
मुझमें ताकत नही बची है, प्रेयसी  तुमसे  लड़ने की।।

जितनी तड़पाओगी मुझको, प्यार उतना ही गहरा होगा।
तेरे  घर  पर  चौबीस  घंटे, तेरे  बाप  का  पहरा  होगा।।

रोके कोई रोक सके ना, मैं तुमसे मिलने आऊँगा।।
तुमको  तेरे  बाप  घर  से, उठवाकर  मैं  लाऊँगा ।।

एक बार  प्रेयसी मेरेे, खुशहाली से बोल दो मीठी बोली।
हँसते  -  हँसते  मर  जाऊँगा,  बम   चले  या   गोली।।

मरते - मरते भी प्रेयसी, मैं  गीत तुम्हारा गाऊँगा।
तुमको  तेरे  बाप  घर  से, उठवाकर  मैं  लाऊँगा ।।

                     ✍️... गौतम कुमार कुशवाहा


29 March 2020

हज़ारों की भीड़ सड़क पर

“बेबस मज़दूर”



अमीर बैठा अपने ही घर में
और गरीब को बेघर कर दिया,
खुदा कैसा कहर तूने ये ढाया
गरीबों को अपने से दूर कर दिया।

भीड़ हज़ारों की है सड़क पर
घर जाने की उम्मीद में दौड़ रहे,
ये कैसा लॉक डॉउन हुआ यहां
गरीबों को भागने पर मजबूर कर दिया।

बेबसी ने ये कैसी हालात कर दी
सड़कों पर इनका डेरा लगा दिया,
भूख,प्यास से तड़प रहे हैं सब
ग़रीबी को इनकी मंज़ूर कर दिया।

रूह कांप उठती है सोच कर इनके हालात
न काम रहा, और न ही घर पहुंचे,
कर्णधार है ये इस देश के,
फिर भी व्यवहार इनसे क्रूर कर दिया।

माना कि कदम उठाए जा रहे है इनके लिए
पर ये काबिले तारीफ़ भी नहीं,
ज़रूरत है कुछ सख्त कदम उठाने की
क्यों कि हालातों ने इनको चूर कर दिया।

                        ' कला भारद्वाज'

कोविड-19 का अभिमान

*कोरोना आया हैं*


इन चीनी लोगों से ही कोरोना ने ये आमंत्रण पाया है,
सारे देशवासियों को प्रसाद रूप में फिर भिजवाया है।

भारत में भी कोरोना ने तबाही का मकसद बनाया है,
तभी इस विपदा की घड़ी में ऐसा कोहराम मचाया है।


नापाक इरादों से यह महासंकट हिन्दुस्तान को छल्ली करने आया है, तभी हर जन के लिए मोदी ने ये कर्फ्यू लगाया है ।
मेडिकल पुलिस प्रशासन ने सख्ती से आदेशों का पालन करवाया है, जनता को केवल घर पर ही रहना जीवन का मोल बताया है ।

बोर्ड यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं को क्षण भर में ही रुकवाया है,
बाजार दुकाने बंद करवाकर सड़कों को सुनसान रखवाया है।

अद्भुत दिवस इस इतवार को ये चला आया है,
अविश्वसनीय ध्वनि तरंगों से हमारे अंबर को सभी ने गुंजाया है ।


सेनिटाइजर मास्क लगा खुद का ध्यान खुद ही रखना सिखाया है, 
24 मार्च को मोदी जी ने फिर से हमें देश का हाल सुनाया है।
रहीस अमीरों का लम्हा छुट्टी का आराम से आया है,
लाचार  गरीबों के चूल्हों को कुछ हरीशचंद्रो ने भी चलाया है।


गृहत्याग पर सरकार ने लक्ष्मणरेखा का सा बैन लगाया है,
भीङभाङ से दूर होकर जनता ने घर में ही डेरा जमाया हैं।

21 दिन की तपस्या का बीड़ा सभी ने मिलके उठाया हैं,
ऐसा अद्भुत संकल्प भारतवासियों ने बखूबी से निभाया हैं।


कोविड-19 का अभिमान चूर करने को ही तो देश में लाॅकडाउन लगाया है,
गिनीज बुक में मोदीजी के रिकॉर्ड को दर्ज का मानस सभी ने बनाया है।



                                      शालू मिश्रा



जन जन का कल्याण करो

जागो जागो माँ रणचंडी
जन जन का कल्याण करो।



उठो उठो मां दक्षिणेश्वरी काली
बच्चों का हाथ पकड़
अब उनको प्यार करो।

कांप रही थर थर दुनिया
तेरे अट्हास से।
अब तो बच्चों का उद्धार करो।

जपत निरंतर नाम तेरो
ओम दक्षिणेश्वरी काली नमः
सब का माँ कल्याण करो।

तीनो लोक कांप रहे।
तेरे क्रोध से।
देव दानव मानव सब
तेरा नाम जप रहें,
माँ प्रेम से
अब तो मां क्रोध का त्याग करो।

बच्चों को गोद में
लेकर अब प्यार करो।

खप्पर ले तेरी योगिनियां
बन कोरोना रक्तपान जो कर रही
उनको मैं आकर
अब तुम शांत करो।

जागो जागो माँ रणचंडी
जन जन का कल्याण करो।

उठो उठो मां दक्षिणेश्वरी काली
बच्चों का हाथ पकड़
अब उनको प्यार करो।
अब तो माँ आप
शांत हो जाओ।


                         राजीव डोगरा 'विमल'


28 March 2020

कोरोना पर दोहे




कोरोना से जंग में, दे पूरा सहयोग।
समय गुजर जाने पर न, करना पड़े वियोग॥1॥

त्राहि त्राहि है मच रही, जन-जन है भयभीत।
विपरीत समय में साथ दें, ये मानवता रीत॥२॥

सबकी जरुरत का सभी, मिलकर रखिये ध्यान।
जन-जीवनभर स्वस्थ रहे, सबके चित अरमान॥३॥

साफ सफ़ाई का सभी, पूरा रखिए ध्यान।
उपाय यही बचाव का, हो सबको ये भान॥४॥

अस्पृश्यता के बिना, रखिये पूरा नेह।
मास्क पहन करके मिले, छुए न कोई देह॥५॥

सावधानी रख करके, हो पायेगी जीत।
भावना मानवता की, है सच्ची जग से प्रीत ॥६॥

गँभीर परिस्थित को भी, मज़ाक समझते मीत। 
सँभलो आज सभी वर्ना, बनोगे कल अतीत॥७॥

हाहाकार मचा हुआ, नहिं कोई संगीत।
परिस्थित की गँभीरता, अब तो समझो मीत॥८॥

विश्वभर में गूँज रहा, कोरोना का शोर।
जन विचलित भयभीत है, नहिं उपचारित छोर॥९॥

मिल-जुल लड़े जंग सभी, देश में हो विनीत।
कोरोना वायरस से, बेशक होगी जीत॥१0॥

नेहआलिंगन छोड़ दें, हाथ जोड़ जयराम।
हो मोह न प्राण से ग़र , जीभर करें प्रणाम ॥११॥

आदत में हो स्वच्छता, रहें रखेंगे शुद्ध।
सफल हो युद्ध जीत से, भारती हो प्रबुद्ध॥१२॥


                                   अनामिका वैश्य आईना


इच्छा-शक्ति-अटल विश्वास

इच्छा-शक्ति 



अथाह मार्ग, अथाह संकल्प
भय कैसा रख दृढ़ संकल्प
करते हैं स्वागत द्वार बंद भी
हालातों से लड़ जाए अगर
नहीं विजेता मैं, स्वीकार किया
टूटा ना कभी, इच्छा शक्ति प्रबल
चमक उठता स्वतः कोहिनूर भी
घर्षण उसका ना हुआ असफल
उद्देश्य होगा पूर्ण, निश्चित है
समय चाहे कितना हो अल्प
कितनी भी हो भयावह स्तिथि
ना होंगे कोई संघर्ष तेरे विफल
क्षमता का नहीं तेरी तुझको ज्ञान
संघर्ष निरंतर, बुलंद आत्मबल
है योद्धा तू जीवन रणभूमि का
हार ना मान, हर चुनौती से लड़
मिलते असफलता से ये हथियार
इच्छा-शक्ति और विश्वास अटल

                                           विनीता पुंढीर 


दुख आने पर ही दुनियाँ में सुख के दर्शन होते है

दुख के बाद सुख
...................


दुख आने  पर ही दुनियाँ में, सुख के  दर्शन होते है।
फूलों  की सौरभ वे पाते, जो कांटो के दंश सहते हैं।

अगर नहीं पतझड़ तो कैसे, बासंती  मधुमास खिले।
अगर  नहीं तम घोर निशा का, तो कैसे प्रत्यूष मिले।
विषका घट ले हाथ वही, घट अमृत का फिर पाते हैं।
दुख  आने  पर ही दुनियाँ में, सुख के  दर्शन होते है।

जो लहरों  से डरे,किनारे  पर ही, हार  खड़े रहते।
पाँव  डूबोने से डरकर जो, साहिल बीच पड़े रहते।
भला कहाँ वे सागर की, मौजो का सुख ले पाते है।
दुख आने  पर ही दुनियाँ में, सुख के दर्शन होते है।

जो  चोटो  संग  नही खेलते, वे  कोरे  पाषाण रहे।
जो घन की  थापों से डरते, कोरे अनगढ़ पड़े रहे।
अविरल  चोटे सहते जाते, शिव लिंगी कहलाते है।
दुख आने पर ही दुनियाँ में, सुख के दर्शन होते है।

कदम कदम पर लिया सहारा, कहाँ देरतक टिक पाये।
उदयकाल   से  अस्तकाल  तक, गैरों के  कंधे  आये।
फोड़   धरा  अपने  बलबूते, वृक्ष   वही  बन  पाते हैं।
दुख  आने  पर  ही  दुनियाँ में, सुख  के दर्शन होते है।

छोड़ निराशा बढ़ो वेग से, हर तुफां से भिड़ जाओं।
डरो नहीं तुम हालातों से, हर बाधा से लड़  जाओं।
होड़  लगाते  पवन  वेग  से, वे  पंछी  उड़  पाते है।
दुख  आने पर ही दुनियाँ में, सुख के दर्शन होते है।

                                        हेमराज सिंह


प्यारे देशवासियों हँसी - मजाकें बंद करो



बार - बार साबुन से तुम, अपने हाथ को धोना।
अब चहूँ ओर फैल गया है, ये  जालिम कोरोना।।

ना  ये  फैला  मुर्गे से, और  ना  ये  फैला मीन से।
ये जालिम तो जन्म लिया है, मेरे पड़ोसी चीन से।।

ये  बीमारी फैल रही है, एक दूजे के मिलाप से।
उत्पत्ति हुई है इसकी, चमगादड़  और साँप से।।

मेरे  प्यारे  देशवासियों, हँसी - मजाकें बंद  करो।
कोरोना से लड़ने का, अब तो उचित प्रबंध करो।।

आओ मिलकर कसमें खाएं, कोरोना को मिटाना है।
भारत माँ की इस धारा को, पुनः खुशहाल बनाना है।।

                                         ✍️गौतम कुमार कुशवाहा


कोरोना से हम जंग जीतेगें


*सफल हुआ जनता कर्फ्यू* 


कोरोना को भगाने में यादगार
बन  गया  22  मार्च   रविवार ।
इतिहास रच गया जनता कर्फ्यू
जंग लडने  साथ खड़ा परिवार ।।

थम-सी गई हैं जिंदगी की रफ्तार
सूनी  हुई  गली , सडकें , बाजार ।
देश-विदेश,गांव-शहर में चहुंओर
कोरोना ने  मचाया है  हाहाकार ।।

पांच  बजे  सब  लिए खडें थे
शंख,घंटी और हाथों में थाली ।
कोरोना गो , कोरोना गो बोल
एकसाथ खडें हो बजाई ताली ।।

हमने एक वक्त  पर एक साथ
खड़े हो  दिया  उनको सम्मान ।
जो  अपना  सबकुछ  भूलकर 
हमारी रक्षार्थ संभालें हुए मैदान ।।

कोरोना  को  भगाने  के  लिए 
देशवासियों ने एकता दिखाई ।
जाति धर्म से बड़ा देश धर्म हैं
यह  बात जगत को  बतलाई ।।

दिन भर हाथ को साफ करो
गले  मिलने  को माफ करो ।
बस  दूर  से  ही  साथ जोडें
मेलजोल को अभी हॉफ करो ।।

घर पर रहना करनाअपना काम
भीडभाड़  से बचना ही एतराम ।
थोडी  सर्तकता , सावधानी  ही
लगा  सकती हैं  इस पर विराम ।।

मिलकर कदम बढ़ाना होगा




मिलकर कदम बढ़ाना होगा। 
सृष्टि पर आए संकट से ,
सबको हमें बचाना होगा ।।


 कोरोना को विध्वंस करके ,
 जगत को,
 वायरस मुक्त बनाना होगा ।।
संपूर्ण जगत के हर मानव को, 
अब, मिलकर 
कदम से कदम बढ़ाना होगा।।


सृष्टि पर आए संकट से ,
सबको हमें बचाना होगा।

 स्वच्छता का ध्यान ,
 अब रखना होगा।
 जनसंख्या विस्फोट,
 को भी मथना होगा। 
 बढ़ते कचरे को,
 भी थमना होगा।

मिलकर कदम बढ़ाना होगा
तरक्की की अंधी दौड़ में,
मशीनी मानव बनती दुनिया को, 
मानवीय चिंतन का,
सबक सिखाना होगा।


 संपूर्ण जगत के हर मानव को,
 अब मिलकर ,
कदम से कदम बढ़ाना होगा।

 जीवन पर जो संकट बना है। 
उसका हल ...........अब 
सावधानी से पाना होगा ।


फिर से जीवन सजल हो ,
पावन धरा पर ,
सबको 
मिलकर कदम बढ़ाना होगा।

                                             प्रीति शर्मा "असीम"


जन-जन तक जनता कर्फ्यू का प्रचार करो

कोरोना पर पाबन्दी
***************


कुछ दिनों की थोड़ी पाबन्दी स्वीकार करो।
घर में रहकर जनता कर्फ्यू का सत्कार करो।।

न करो आनाकानी न भीड़ में जाओ तुम।
अकेले बन्द रहने से भाई अब न इनकार करो।।

कोरोना की जंग लड़ें बिना मिले हम साथ साथ।
 हो जाओ तैयार प्रधान सेवक पर एतबार करो।।

जंग लड़ो सब कोरोना से  और देश से दूर करो।
जन-जन तक जनता कर्फ्यू का फिर प्रचार करो।।

थोड़ी पाबन्दी कर  अब  ,जीवन अपना निरोग करो।
वैश्विक महामारी से बचने का, सिर्फ तुम इकरार करो।।

                                       डॉ. राजेश पुरोहित


27 March 2020

बंद करो खिलवाड़ प्रकृति से



नई बीमारी हुई इज़ात
रख दिया जिसका कोरोना नाम ।
पल भर में फैला पूरे विश्व में
मचा दिया है जिसने कोहराम।।

चीन में मिला जिसका पहला मरीज
आज हुआ इतना बड़ा अंजाम ।
मौत कर डाली हज़ारों में
लक्षण जिसके सर्दी,खांसी और ज़ुकाम।।

निकलो सब मास्क पहनकर बाहर
सावधानी बरतो अमीर या हो आम। 
इसकी बनी नहीं कोई दवा अभी तक
पूरी दुनिया कर रही त्राहिमाम।।

बंद करो खिलवाड़ प्रकृति से
नहीं तो होगा यही अंजाम।
कभी कोरोना,कभी फुलू बनकर
मचता रहेगा विश्व मे कोहराम।।

                                   शुभम पांडेय गगन


कोरोना आया है

गीत 


कोरोना आया है, आया है ,कोरोना आया है ।
साथ में अपने ये महामारी लाया है,  लाया है। 
कोरोना आया है ,आया है , कोरोना आया है। 
सबको इसने पेशंट बनाया है,  बनाया है।।
कोरोना आया है,  आया है ,कोरोना आया है।  
ना जाने इसने कितनो को यमराज के पास पहुँचाया है।। 
कोरोना आया है, आया है, कोरोना आया है। 
कैमिस्ट का धंधा भी बढ़ाया है ...बढाया है। 
इसने सबका धंधा भी चौपट कराया है ....कराया है। 
कोरोना आया है, आया है ,कोरोना आया है ।।
सबको इसने घर मे बैठाया है..... बैठाया है।  
कोरोना आया है , आया है ,कोरोना आया है ।
बाज़ार भी बंद कराया है...... कराया है।। 
कोरोना आया है,  आया है,  कोरोना आया है।।....
                                    
                                               मनन तिवारी 


जनहित के नियमों का पालन


है हावी कोरोना जग पर,निपटेंगे हुशियारी से ।
जनहित के नियमों का पालन ,करलें जिम्मेदारी से ।


रोग भयंकर अरु निदान के, कहीं लगे आसार नहीं ।
दूरी सबसे हुई जरूरी, दूजा कुछ उपचार नहीं ।
इस संकट से हमें उबारो, विनती है गिरधारी से ।।1।।
जनहित के नियमों का पालन .........।


भली-भांति हाथों को धोएं, मूहँ मास्क से ढकना हैं ।
बाहर से कोई आये तो, सेनिटाइज करना है।
खतरा टल जाए मत डरना, मनुज किसी दुश्वारी से ।।2।।
जनहित के नियमों का पालन  .........।


द्रवित हृदय है,ख़ौफ़ बढ़ा है, फिर नर क्या मगरूरी है ।
लॉकडाउन का पूर्ण रूप से, पालन हुआ जरूरी है।
अब घर में रह तनिक कटो तुम, दुनियां, दुनियादारी से ।।3।।
जनहित के नियमों का पालन .........।


श्री मोदी  आग्रह का पालन, करलो इक्किस दिवस सभी ।
हर इक जरुरत की व्यवस्था है, पाँव बांध लो जरा अभी ।
धीर धरो संयम मत खोना, क्या हो मारामारी से ।।4।।
जनहित के नियमों का पालन  .........।

                                    रीना गोयल 


कोरोना-कोरोना अब बहुत हो गया तेरा रोना...





कोरोना-कोरोना
हो रहा चारों तरफ तेरा रोना।
सब हो रहे हैं दूर - दूर
पास आना नहीं किसी को मंजूर।
घर की खुली जेल में
कर दिया तूने सबको बंद।
सब काम -काज छोड़ अपना
बैठे हैं अपनों के संग।
सूनी-सूनी हैं सड़कें
सूनी-सूनी हैं गलियां।
चारों तरफ लगता है 
जैसे डाला हो तूने डेरा।

पर ना समझ कमजोर हमको
ठान के बैठे हैं हम भी,
आने न देंगे पास तुझे
जितना करना चाहे कर ले जतन तू भी।
चाहे कितना ही लगे लॉकडाउन
चाहे धोने हों हाथ बार-बार
चाहे ना जा पाएं घर से बाहर
पर सामना तो हम करेंगे तेरा।

होकर सभी एकमत
स्वास्थ्य रक्षकों के निर्देशों को मानकर
कर देंगे तुझे हम बाहर ।
मातम हम नहीं
मातम मनाएगा तू
ये सोचकर कि 
क्यूं आया मैं इस भारत की जमीं पर।
समय है सावधानी बरतने का
समय है नादानियों से बचने का
अपनों के लिए जीने का
अपनों को अपनी इस दुनिया में 
जिंदा रखने का।
कोरोना-कोरोना
अब बहुत हो गया तेरा रोना।

                                                 तनूजा