तुम सावन का सुहाना मौसम,
मैं बारिश की एक बूंद पिया,
पाकर तुमको मैने, मेरा खुद का,
जीवन पूरा सफल किया।
तुम सर्दी की मीठी धूप हो,
मैं ओस की एक बूंद पिया,
पाकर तुमको मैने,मेरा खुद का,
जीवन पूरा सफल किया।
तुम पतझड़ की तेज़ हवा हो,
मैं पतझड़ का सूखा पेड़ पिया,
पाकर तुमको मैने,मेरा खुद का,
जीवन पूरा सफल किया।
तुम गर्मी की तेज़ धूप हो,
मैं मंद-मंद चलती शीतल हवा पिया,
पाकर तुमको मैने,मेरा खुद का,
जीवन पूरा सफल किया।
तुम सावन का सुहाना मौसम,
मैं बारिश की एक बूंद पिया,
पाकर तुमको मैने, मेरा खुद का,
जीवन पूरा सफल किया...
खुद का,जीवन पूरा सफल किया...
- अपर्णा सचान
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