साहित्य चक्र

25 December 2022

कविताः वो पढ़ाई किस काम की




दूसरों की जो करना ना सिखाये इज़्ज़त मान
गुरुजनों बड़े बूढ़ों को जो ना दे पाए सम्मान
बूढ़े माता पिता का जो बुढ़ापे में ना रखे ध्यान
थोड़ी सी सफलता क्या मिली उड़ने लगे आसमान
ऐसी पढ़ाई किस काम की

गरीब असहाय यतीमों को जो करे परेशान
नारी को करे अपमानित जो ना करे उसका सम्मान
अपना ही घर भरने पर जो देते रहते हर वक्त ध्यान
कमज़ोर पर जो वार करे छुए नहीं बलवान
ऐसी पढ़ाई किस काम की

छोटों से जो प्यार से बात नहीं करते
बेईमानी करने से बिल्कुल नहीं डरते
शांत मन जिनका नहीं भटका रहता है ध्यान
दूसरों पर रहते निर्भर खुद कुछ नहीं करते
ऐसी पढ़ाई किस काम की

बाहर से उजले मन जिनके हैं काले
ईमानदारी का ओढ़ें लबादा
कारनामें इनके भयंकर और निराले
दूसरों को नीचा दिखाने पर रहते आमादा
ऐसी पढ़ाई किस काम की

मां बाप ने पढ़ाया मुश्किलों से
ज़मीन से बुलंदियों पर पहुंचा दिया
जहाँ से अपने नज़र ना आ सकें
फिर वो ऊंचाई किस काम की
ऐसी पढ़ाई किस काम की


                                                रवींद्र कुमार शर्मा

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