साहित्य चक्र

06 December 2022

कविताः खुशियों के दो पल



दुनियाँ भर के गम हैं इस ज़माने में
बहुत वक्त लगता है दिल को समझाने में
हो जाती है ऐसी गलती किसी से अनजाने में
आंख उठाकर नहीं चल सकता फिर ज़माने में

ज़िन्दगी एक बार ही मिलती है मुस्कुरा के जिओ
खुशियों के दो पल भी मिल जाएं वही तुम्हारे अपने हैं
बांटने की कोशिश करो दुख को दूसरे के दुआएं मिलेंगी
पूरे होंगे सभी जो बुने तुमने सपने हैं

किसी के चेहरे पर खुशी का कारण बनो
बेकार समय मत बर्बाद करो आपस में मत लड़ो
ज़रूरतमंद के काम आओ मन को शांति मिलेगी
प्यार बांटो नफरत के चक्कर में मत पड़ो

किस्मत वाले ही वह खुशनसीब होते हैं
मुकाबला करते हैं जो ज़िन्दगी के तूफानों का
खुशियां सब को नसीब नहीं होती है ज़िन्दगी में
कत्ल हो जाता है कई बार दिल के अरमानों का


                            - रवींद्र कुमार शर्मा


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