साहित्य चक्र

16 December 2022

कविताः आक्रोश




मुझे आक्रोश है आज भी
उन लोगों से जिन्होंने
मेरा साथ तब छोड़ा
जब मुझे सबसे ज्यादा जरूरत थी।

मुझे आक्रोश है आज भी
उन लोगो से  जिन्होंने
मेरी मोहब्बत को तब ठुकरया
जब मुझे किसी के प्यार की जरूरत थी।

मुझे आक्रोश है आज भी
उन लोगो से 
जिन्होंने अपना बनाकर
मुझे गले तो लगाया पर
मेरी पीठ पीछे खंजर भी चुभाआ।

मुझे आक्रोश है आज भी
उन लोगो से  जिन्होंने
मुझसे अपना मतलब निकाला
मगर मेरी जरूरत के समय
मुझे ठुकराया।

                      - राजीव डोगरा



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