साहित्य चक्र

04 December 2022

कविताः मेरी बिंदी



मेरे माथे पे ऐसे सजती बिंदी ,
जैसे आकाश पे सजा सितारा
कोई !

मेरा अभिमान है मेरी बिंदी ,
मेरी पहचान है मेरी बिंदी !

मेरा गुरुर है मेरी बिंदी,
मेरा लावण्य है मेरी बिंदी!
मेरी सुंदरता है मेरी बिंदी ,
मेरी अलग ही पहचान
मेरी बिंदी !

सबसे प्यारी मेरी बिंदी ,
सबसे न्यारी मेरी बिंदी !
खूब सुहाती मेरी बिंदी ,
राजकुमारी सा एहसाह
दिलाती !

- सुमन डोभाल काला


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