वक्त की दौड़ में
वक्त की हौड़ में
सब कुछ
बहता चला जा रहा है।
सिवाए मेरे हृदय में
खनखनाती हुई तेरी
स्थिर यादों के।
वक्त के शोर में
वक्त के हिलोर में
सब जगह
खामोशी का एक सन्नाटा
बिखरे जा रहा है।
सिवाए मेरे अंतर्मन में
तेरी गुनगुनाती यादों के।
राजीव डोगरा 'विमल'
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