माँ तू ममता की मूर्ति है,
तुझे दोष न दिखे संतानों में ।
नव मास उदर में तूने पाला
दुःख सहकर भी मुझे संभाला
सौ बार न्योछावर तू हो जाती
मेरी मीठी मीठी मुस्कानों मे,
माँ तू ममता की मूर्ति है,
तुझे दोष न दिखे संतानों में ।।1।।
मैं हंसता हूं तू हँसती है
मैं रोता हूँ तू रोती है।
मेरा संसार सजाती तुम
अपने सारे अरमानों में,
माँ तू ममता की मूर्ति है,
तुझे दोष न दिखे सन्तानों में ।।2।।
मैं जगता तो जागे तू
मैं सोऊँ तो सोये तू ।
मेरा दुख सुख सब तू जाने
पार करे मुझे तुफानो में,
माँ तू ममता की मूर्ति है,
तुझे दोष न दिखे सन्तानों में ।।3।।
आ तेरे चरणों को मैं चूम लूं
आँचल में मैं तेरे झूम लूँ मैं ।
तेरी गोद है स्वर्ग से सुंदर
तू श्रेष्ठ सभी भगवानों में ,
माँ तू ममता की मूर्ति है,
तुझे दोष न दिखे संतानों में ।।4।।
ना होने से रहे अंधेरा,
होने से रहे सवेरा
तू अकेली मेरी माँ है ,
सारे जग के बेगानों में।
माँ तू ममता की मूर्ति है,
तुझे दोष न दिखे संतानों में ।।5 ।।
"मुल्क मंजरी"
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