साहित्य चक्र

22 May 2021

मौत का साया मँडरा रहा




कोरोना महामारी से डर रहा है आदमी।
ऑक्सीजन की कमी से मर रहा है आदमी।

प्राण वायु का देश में ऐसा पडा अकाल,
जिंदगी के लिए गुहार कर रहा है आदमी।

ऑक्सीजन की कमी से बे मौत मर रहे हैं लोग,
रोज ये खबरें सुनकर आह भर रहा है आदमी।

अस्पताल में बेड खाली नहीं करें भी तो क्या करें,
अपने परिचित की मौत से बिखर रहा हे आदमी।

मौत की खबर सुनकर सबका हाल बेहाल है,
घर से बाहर निकलने से सिहर रहा है आदमी।

आज मौत का साया सबके सर मँडरा रहा,
अंदर ही अंदर घुट-घुटकर मर रहा है आदमी।

मन व्यथित है, सहायता करें तो कैसे करें,
एक-दूसरे से रोज संम्पर्क कर रहा है आदमी।

मौत का तांडव बहुत हुआ अब तो बस करो भगवान,
सुबह-शाम ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है आदमी।

नीम,बरगद,पीपल का अधिकाधिक पेड लगाने है,
घर-घर पेड लगाने का संकल्प कर रहा है आदमी।

                                    सुमन अग्रवाल "सागरिका"

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