मां की महिमा जगत में अपरंपार है ।
चरण वंदना से उसकी होता उद्धार है ।
1.संस्कारों का पोषण दे
वीर शिवा को जग विख्यात बनाया।
पन्ना धाय के बलिदान ने,
मां को स्वर्णाक्षर में लिखवाया ।
मिलती कभी मीठी झिड़की,
होती कभी मनुहार है ।
2. स्वार्थ त्याग, भूल कष्टों को,
पालन-पोषण दायित्व निभाती है ।
है देव सम पूज्य मां की महिमा,
प्रतिमूर्ति स्नेह की, लोरी गुनगुनाती है ।
घर परिवार पर मां का,
देखो कितना उपकार है ।
3. मां शकुंतला ने भरी वीरता,
चक्रवर्ती भरत ने सिंह को ललकारा ।
माता सीता की सीख प्रेरणा ने
लव-कुश को बनाया सबका प्यारा l
पूर्ण करो मां के स्वप्नों को यह मां का अधिकार है ।
डॉ. दीप्ति गौड़ "दीप"
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