साहित्य चक्र

22 May 2021

मां की महिमा




मां की महिमा जगत में अपरंपार है ।
चरण वंदना से उसकी होता उद्धार है ।
1.संस्कारों का पोषण दे 
वीर शिवा को जग विख्यात बनाया।
पन्ना धाय के बलिदान ने, 
मां को स्वर्णाक्षर में लिखवाया । 
मिलती कभी मीठी झिड़की,
होती कभी मनुहार है ।

2. स्वार्थ त्याग, भूल कष्टों को, 
पालन-पोषण दायित्व निभाती है ।
है देव सम पूज्य मां की महिमा,
प्रतिमूर्ति स्नेह की, लोरी गुनगुनाती है ।
घर परिवार पर मां का, 
देखो कितना उपकार है ।

3. मां शकुंतला ने भरी वीरता, 
चक्रवर्ती भरत ने सिंह को ललकारा ।
माता सीता की सीख प्रेरणा ने 
लव-कुश को बनाया सबका प्यारा l
पूर्ण करो मां के स्वप्नों को यह मां का अधिकार है ।

 
                          डॉ. दीप्ति गौड़ "दीप"


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