गंगा में अस्थियां बहाते बहाते
लोग लाशो का भी
विसर्जन करने लगे।
मोक्ष पाने की यह तहजीब भी
अजीब है।
अंतिम वक्त में ही
यह दस्तूर लोग निभाते हैं
जब सांसों का कारवां साथ रहता है
तब मोह माया की जंजीरे
लोगों से नहीं टूटती
कई चक्कर शमशान के
लगाने के बाद भी
लोगों को मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती।
सांसों का कारवां
थम जाने के बाद ही
लोगों को पाप - पुण्य ,
स्वर्ग - नरक और मोक्ष का
ख्याल आता है।
कैसी अजीब विडंबना है!
यहां लोगों के साथ में,
मोक्ष पाने को सब बेताब है
मरने को कोई राजी नहीं!
कमल राठौर साहिल
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