साहित्य चक्र

15 May 2021

आशा की किरण



भय निराशा से घिरे हृदय के अंधकार को दूर भगाएं
चलो मिलकर हर इक मन में आशा की इक किरण जगाएं
माना महामारी ने हमसे छीनी है कई खुशियां
कल जो थे संग मुस्काते चेहरे, आज छोड़ गए दुनिया
भले संग वे आज नहीं हैं पर उनकी स्मृतियों को अपना हम मनोबल बनायें
चलो मिलकर हर इक मन में आशा की इक किरण जगाएं
जाति -धर्म से परे आज हम सबका इक जैसा दुःख है
किसी का अपना घर पर कैद तो किसी का अस्पतालों की तरफ रुख है
हर तरफ हाहाकार मचा आओ मदद को उनकी हाथ बढ़ाएं
चलो मिलकर हर इक मन में आशा की इक किरण जगाएं
माना एक की कोशिश से बिगड़े हालत ना होंगे बस में
पर इक कदम तो बड़ा प्यारे ना रख स्वयं को असमंजस में
अपने धन और सामर्थय के सदुपयोग के लिए तो कुछ आगे आएं
चलो मिलकर हर इक मन में आशा की इक किरण जगाएं


                                          नंदिनी लहेजा

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