साहित्य चक्र

14 May 2021

संघ में एक नाम है पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ




नाम से ही पता चलता है कि इनकी लड़ाई पुष्प के लिये और श्रेष्ठता की है। ये अलीगढ़ के रहने वाले और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़े हैं फिर पत्रकारिता की फिर इन्हें कुछ समय पाकिस्तान भेजा गया। बाद में धोखाधड़ी के आरोप लगे तो प्रेस क्लब ऑफ इंडिया PCI ने बर्खास्त कर दिया। सुधीर चौधरी जैसे पत्रकार जिनको तिहाड़ जेल जाना हुआ हो या पुष्पेंद्र आदि इनके मन में प्रतिशोध की ज्वाला लाजिमी थी और इनका अथवा इन जैसे लोगों का प्रयोग संघ बहुत बेहतरीन तरीके से करना जानता है।

पुष्पेंद्र को मुस्लिम समुदाय से काफी बड़ी ठरक है इसलिए संघ ने मुख्य विषय भी इनको हिन्दू-मुस्लिम एकता को झूठी साबित करने पर बहस सौंपी है और यहां यह हर बात को अपने मुताबिक बिठाने में कामयाब हो जाते हैं और जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि आरएसएस में प्रचारक अधिक हैं और विचारक कम हैं लेकिन इस मामले में पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ में दोनों गुण है। आरएसएस प्रचारकों की योग्यता होती है कि इनसे कही गई हर बात का प्रचार ये उसी भाषा और तथ्यों में करते हैं जो उन्हें बताई जाती है चाहे वो झूठी हो या अधूरी हो।

विचारक जो होते हैं वह बात तो सच्ची करते हैं लेकिन आधे से शुरू करते हैं पूरी बात कभी नहीं बताते। अब पहले उदाहरण से इसे ठीक से समझें कि विचारक कहेंगे कि "वैज्ञानिकों ने भी सिद्ध किया है कि भारत के मुसलमानों का डीएनए हिंदुओं के डीएनए से मेल खाता है। इस लिहाज से भारत में रहने वाले हर मुस्लिम सैद्धांतिक रूप से सब हिन्दू हुए।" अब प्रचारक इसे आगे बढ़ाएंगे लेकिन विचारक उन्हें यह नहीं बताएंगे कि वैज्ञानिकों ने तो 2001 में यह भी सिद्ध किया था कि आर्यों का डीएनए यूरेशियन लोगों से मिलता है इस सिद्धांत पर आपका क्या मत है? तो आप समझ गए होंगे कि संघी व्यक्ति इतिहास अपने अनुरुप बताता है।

आजकल इन्हीं पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ का एक वीडियो जम्मू,कश्मीर के वाल्मीकि समुदाय पर काफी वायरल है। यह कहते हैं कि जम्मू की सरकार ने उन सफाई कर्मचारियों को या उनके बच्चों को पढ़ने-लिखने के बाद भी वहां के संविधान मे नौकरी करने का अधिकार नहीं दिया। इसी बात को आधार बनाकर वे धारा 370 हटाने को उचित ठहरा देते हैं और फिर डॉ अम्बेडकर जी की खूब तारीफ करते करते दलित नेताओं को गाली देते हुए सीधे दलित-मुस्लिम गठजोड़ के मूल विषय पर आ जाते हैं। इसी को संघ की रणनीति कहते हैं जो बात शुरू से भी नहीं कही और अपनी मूल विषय की बात भी कह दी और लोगों को पता भी न चले।

पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ दलितों को गले लगाने का आह्वाहन करते हैं जो कि देर से ही समझ आई हो लेकिन अच्छी बात है। पर इस आह्वाहन के साथ साथ दलित नेताओं या हितैषियों को गाली देने की वजह क्या है? दलित मुस्लिम एकता या कुछ और? आपको ठीक से समझना पड़ेगा कि दलित-मुस्लिम एकता मुख्य वजह नहीं है अन्यथा हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बोलने का जिम्मा उनका नहीं होता। असल वजह है कि किसी भी वर्ग के अंदर प्रतिनिधि या प्रतिनिधित्व न पनप सके। यदि कोई चेहरा उभरे उसे दुष्प्रचार करके जनता को भ्रमित करो। इनके अपने नेताओं के अलावा समाज मे कोई दूसरा किसी को स्वीकार न हो। इसे भी उदाहरण से समझना होगा।

भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बनता है तो दूसरी तरफ कहा जाता है कि शेर अकेला चलता है और वास्तविकता यह होती है कि एनडीए में यूपीए या महागठबंधन से अधिक दल सम्मिलित होते हैं। अकाली दल और शिवसेना आदि भरोसेमंद दल अलग होने पर भी भाजपा व संघ को नुकसान नहीं होने दिया जाता उसके लिए शिवसेना जैसी कट्टर हिंदुत्व पार्टी को भी दुष्प्रचार के खेमे में लेकर आये लेकिन भाजपा को डैमेज न होने दिया गया। बाला साहेब ठाकरे को हीरो बनाकर बेटे को कुपुत्र साबित कर दिया जबकि शिवसेना बाला साहेब ठाकरे के समय ही टूटी थी और राज ठाकरे ने अपनी पार्टी मनसे बनाई।

यानी प्रचार तंत्र मजबूत हो तो आप कुछ भी सही साबित कर सकते हो और सारा खेल स्वीकारोक्ति का होता है जैसे आपने मोदीजी को स्वीकार किया तो 526 का राफेल 1670 में भी स्वीकार कर लिया भले ही रिश्वत बिलियन, ट्रिलियन में जाये। संघ जानता है बहस कहाँ से शुरू करनी है और कहां खत्म। उन्होंने कह दिया कि जम्मू के संविधान में दलितों को जगह नहीं दी गई अपने मान लिया लेकिन भारत के संविधान में जब जगह की बात आ रही थी तब आपका क्या स्टैंड था यह बहस नहीं होगी। उन अधिकारों पर तब से लेकर अब तक विरोध कौन करते हैं बहस नहीं होगी। आज भी आपका नजरिया अस्पष्ट क्यों है बहस नहीं होगी।

भारत के संविधान पर जगह लड़कर बनाई गई जिसका परिणाम है कि दलित वर्ग कम संख्या में ही सही लेकिन आज हर जगह मौजूद है लेकिन जम्मू कश्मीर की भांति पूरे भारत में सफाईकर्मी आज भी वही वर्ग है और आजतक इस विषय पर आपही सबसे अधिक खामोश रहे इसलिए उनमें और आप में अधिक अंतर भी तो नहीं है। जो तरक्की कर गये वह संविधान और अम्बेडकर की वजह से कर गए और बाकी जो पिछड़े हैं वह धार्मिक व्यवस्था के कारण है इधर भी और उधर भी। आप गले लगाने का या एकीकरण का आह्वाहन कीजिए अच्छी बात है लेकिन कुतर्क करके भ्रमित मत कीजिए क्योंकि हम तलवार उठाकर हिन्दू-मुस्लिम की लड़ाई नहीं बल्कि कलम उठाकर शिक्षा और समानता की लड़ाई लड़ेंगे तथा आपको सच्चा इतिहास भी बताएंगे, समझाएंगे।

#आर_पी_विशाल


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