साहित्य चक्र

15 May 2021

*हे दयानिधि*



हे दयानिधि अब दया करो
  सब के मन की पीर हरो
आँखे खोलो हे कृपानिधान
   देखो बच्चे हैं परेशान।

देखो कैसे सब करें विलाप
 जग में फैला घोर संताप
 अब न प्रभु जी देर करो
घर-घर में दिव्य ज्योत भरो।

अब कोई दीप बुझ न पाए
अब न कोई अश्रु बहाए
हम बालक प्रभु हैं नादान
विनती सुनो हे कृपानिधान।

अब न प्रभु जी विलंब करो
अविलंब ही सबके कष्ट हरो
देकर प्रभु अपना आशीष अपार
हर लो हे प्रभु सबके विकार।

                कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'


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