हे दयानिधि अब दया करो
सब के मन की पीर हरो
आँखे खोलो हे कृपानिधान
देखो बच्चे हैं परेशान।
देखो कैसे सब करें विलाप
जग में फैला घोर संताप
अब न प्रभु जी देर करो
घर-घर में दिव्य ज्योत भरो।
अब कोई दीप बुझ न पाए
अब न कोई अश्रु बहाए
हम बालक प्रभु हैं नादान
विनती सुनो हे कृपानिधान।
अब न प्रभु जी विलंब करो
अविलंब ही सबके कष्ट हरो
देकर प्रभु अपना आशीष अपार
हर लो हे प्रभु सबके विकार।
कुमकुम कुमारी 'काव्याकृति'
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