विचलित हूं मैं विचलित हूं
देख-देख इंसानों की फितरत
सोच-सोच में विचलित हूं
इंसानों में इंसान ना पाकर
विचलित हूं में विचलित हूं
त्रासदी ऐसी ना देखी किसी ने
कफन चुराकर वह घर भर रहे हैं
इंसानियत बेच कर देखो आज
सरेआम सांसों का सौदा कर रहे हैं
विचलित हूं मैं, विचलित हूं
नम है आंखें लाशों को देखकर
कुछ इंसान फरिश्ते बन रहे हैं
उन गिद्दों को इंसान कैसे कहूं
सरेआम जो लाशों को नोच रहे हैं
विचलित हूं मैं विचलित हू
महामारी निगल रही सांसों को
इंसानियत का भी हनन हुआ
प्रलय जैसा हाहाकार
इस धरा पर इंसानों के कर्मों से हुआ
विचलित हूं मैं, विचलित हूं
कमल राठौर साहिल
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