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नदियों में तैरती लाशें
करना चाहती है कुछ बातें
पूछना चाहती है प्रश्न
चर्चा में होना चाहती है सहभागी
जानना चाहती है महामारी की अव्यवस्था
ग़रीबों की बौखलाहट
जड़ रही है व्यवस्था पर प्रश्न
देख रही है मरते हुए लोग
हो रही है मन ही मन क्षुब्ध
समय के साथ मिलाते हुए नजरें
लाचार बेबस अचंभित सारगर्भित
टिप्पणियों बहसों अपमानों व्यथाओं से लदी
तैर रही हैं लाशें देश के नक्शे पर
करते हुए बयान देश की अर्थव्यवस्था।
-रीदारा
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