साहित्य चक्र

15 May 2021

रिविल्युशन चाचा की आत्मा



शांति बहुत  दुखी थी क्योंकि  उसके  किसी करीबी परिजन  की  बिमारी  का हल  मिल  पाना कठिन  था! एक अपरिचित भय उसे सता रहा था! ऐसा नही  है  कि उसका सामना बिमारी से कभी न हुआ हो, परन्तु इस बार का रोग काल्पनिक था, बिल्कुल किसी  व्यूहचक्र की तरह जिसे भेदना कठिन हों!

  शांति  उठी, रोई और  फिर कुछेक पल के बाद चुप हो गई, जैसे उसकी तपस्या किसी ने भंग कर दी हो! मालुम हुआ कि उसके  मुंह बोले भाई 'रूकावट सिंह' ने  ज़हर घोला और शांति के  जीवन को तहस नहस किया! रूकावट सिंह कहने को तो बेहद कमज़ोर, पतला, दुबला था  लेकिन अकल उसकी तेज़ थी! वे  काफी नामी लोगो के साथ रहता और दो नम्बरी काम करता! इसलिए जहाँ जाता, वहाँ ज़हर उगलता!  




न-न कोई मधु,  सापँ या बिछू न था, बस  उसकी पैदाइशी ऐसी थी! परिणाम यह हुआ कि शांति  के  परिजन का रोग  बढता गया और वे मर गया!  तब शांति को कहा चैन पड़ता, वे भी  कुछ समय तक जीवित रही, फिर एक दिन  चल बसी!  कहते हैं कि उसका परिजन "रिविल्युशन" चाचा था!  माना जाता है कि आज भी उसकी आत्मा भटकती हैं और जिस-जिस व्यक्ति में आती हैं वे  "लेखक" कहलाता हैं! 

                                                     नेहा राजपूत



2 comments: