कभी खुशी तो कभी ग़म में
दोस्त अपना बतलाते हो
नशे की जब लत लग जाए
तो होश में कहा रह पाते हो।
जिस माँ ने था जन्म दिया
उस पर ही चिल्लाते हो
ऐसा जीवन दिया ही क्यों
उसको ही जतलाते हो
उसके हर दर्द पर
तुम और मिर्च लगाते हो
नशे की जब लत लग जाए
तो होश में कहा रह पाते हो।
जिस पिता ने था
कभी चलना सिखाया
उसी का सम्मान चुराते हो
बीच सड़क में कर तमाशा
उस को शर्मिंदा कर जाते हो
नशे की जब लत लग जाए
तो होश मे कहा रह पाते हो
जिन भाई बहनों ने था
तुमको कभी प्यार सिखाया
उनको ही उनकी औक़ात
हरपल दिखलाते हो
नशे की जब लत लग जाए
तो होश में कहा रह पाते हो ।
जिस पत्नी ने प्रेम दिखाया
उसका कहा मान रख पाते हो
घर की जागीर समझ कर
हर दोष उस पर लगाते हो
नशे की जब लत लग जाए
तो होश में कहा रह पाते हो ।
अरे बच्चों को क्या
सीख दोगे तुम
जब खुद ही समझ नहीं पाते हो
अरे !नशे में ही नाश निहित है
इतनी सी बात, समझ नहीं पाते हो
नशा कभी भी दोस्त नहीं ,
ये सारे रिश्ते ले लेगा
ऐसे दोस्त का क्या है करना
जो जीवन नर्क बना देगा ।
गीता पांडे
Thank you Jaideep Patrika
ReplyDelete