हमदम तुम्हीं तुम्हीं हो साथी, दिया जैसे बिन बाती
हमसफ़र हो तुम राहों का तुम साथी तुम ही पाती
सुख दुख के इस संगम में तुम ही संगी तुम ही साथी
आधार तुम्हीं हो, अंत है तुमसे, तुमसे ही हिम्मत आती
मीत बनके जिंदगी की राहों में साथ निभाना
दिल से दिल मिले ऐसे मन में ऐसा प्रेम जगाना
सच्चे दिल से जब तुमने लिखा प्रेम एहसास का
प्रीत प्रेम की डोर से बंधा रहे रिश्ता ये प्यार का
तब्बसुम लिए अधरों से प्रेम के ऐसे गीत सुनाना
पंक्ति हो तुम नज्म का शब्दों से इसे सुरमय बनाना
शब्दों की मीठी चाशनी सी मुख में सदा मिठास रहे
रस घोलती कानों में सुरमय संगीत का निवास रहे
मन को भाए नज्म तुम्हारे प्यार की ऐसी रीत बनाना
खूबसूरत लम्हों का साथी दिल का मनमीत बनाना
ममता रानी
No comments:
Post a Comment