हीरा का परिवार मध्यम वर्गीय था। उसके परिवार की आय का स्त्रोत हीरा ही था। वह एक छोटी सी दुकान करता था। साप्ताहिक हाट बाजारों में व्यवसाय कर वह जीवन यापन के लिए कमा लेता था। वह जितना मिल रहा था उसी में खुश था। जिस दिन वह बाजार करने नहीं जाता था। अपना समय परिवार, इष्ट मित्रों एवं सहयोगियों के साथ बिताता था । वह व्यवहार कुशल भी था। उसका एक बेटा था ,जो ग्यारहवीं कक्षा में पड़ रहा था। उस साल महामारी के कारण लॉक डाउन लग गया ।शासन ने सभी साप्ताहिक हाट बाजार बंद करने के आदेश दे दिए थे। वह रोज ही समाचार पत्र पढ़ता था सो स्थानीय खबरें भी उसे मिल जाती थी। लॉक डाउन के चलते कुछ समाजसेवी गरीबों की मदद कर रहे थे जिसमें उसके कुछ रोज उठने बैठने वाले भी थे ।
हीरा संतोषी व्यक्ति था। उसने ज्यादा चिंता नहीं की,और परिजनों से बोला कुछ दिनों की बात है। महामारी खत्म होते ही फिर बाजार करने लगूंगा। कुछ दिन बीत गए हीरा अपनी जमा पूंजी से खर्च चला रहा था। परंतु महामारी का प्रकोप बढ़ने से लॉक डाउन भी बढ़ा दिया गया। अब हीरा की जमापूंजी भी खत्म हो रही थी,परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था।
इसी बीच बीमारी ने हीरा को घेर लिया। वह बीमार हो गया। बीमारी के दौर में हीरा का परिवार टूटने लगा था।उसके बच्चों का खाने का जुगाड़ भी मुश्किल हो रहा था। कोई भी उसकी खबर पूछने वाला नहीं था, न वो समाजसेवी उसके घर का हाल जानने पहुंचे थे। जो उसके परिचित एवं जानने वाले थे। मुश्किल वक्त गुजर गया, धीरे धीरे हीरा की बीमारी ठीक हो रही थी । लॉक डाउन भी खुल गया था।वह फिर से कारोबार करने के लिए हाट बाजार जाने लगा था।उसको आमदनी होने लगी थी। उसके परिवार की भोजन की व्यवस्था हो गई थी।
एक दिन हीरा दिहाड़ी व्यवसाय करने नहीं गया था। उस दिन अचानक उसके घर के दरवाजे को कोई खटखटाता है।उसका परिवार चौक उठा , हीरा ने दरवाजे खोल कर देखा तो चार पांच लोग उसके दरवाजे पर खड़े थे।इसमें हीरा के परिचित समाजसेवी भी थे।परिचित होने के कारण हीरा ने सभी को अंदर बुला लिया। हीरा कुछ समझ पाता उससे पहले एक युवक ने पांच किलो आटे की थैली और दो किलो शक्कर देते हुए कहा आपकी बीमारी के बारे में पता चला था।हम लोग गरीबों को राशन बांट रहे हैं। आप थोड़ा इस आटे की पालीथीन को पकड़कर खड़े हो जाइए ........ कुछ लोग हीरा के बाजू में आ गए और एक युवक ने मोबाइल में फोटो खींच ली। हीरा का माथा ठनका उसने फोटो वाले को टोंकते हुए कहा रुको और समाजसेवा के नाम पर ढोंग करने वाली टोली से मुखातिब होते हुए कहा आपने हमें पांच किलो आटा दिया .... मेहरबानी है!
आप ये सब किसी गरीब की सहायता कर रहे हो या उसके परिवार की लाचारी का तमाशा बना रहे हों। दूसरे दिन अखबार में हीरा और समाजसेवियों की तस्वीर के साथ केप्शन छपा था । नगर के समाजसेवियों ने गरीबों को एक हजार खाद्यान्न किट बांटी।
लेखक- राजेश शुक्ला
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