साहित्य चक्र

25 May 2021

फिक्र नहीं, सब अच्छा होगा



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फिक्र नहीं, सब अच्छा होगा
आगे आगे भी, अब अच्छा होगा।

अच्छे भाव, विचार स्वस्थ हों
फिर देखो, तब अच्छा होगा।

डर को  पास नहीं आने दो
घर के बाहर, डर  जाने दो।

पर  कोई भी, बाहर न जाना
मिले कोई, परिचित अनजाना।

तुम मुंह ढक, मास्क लगाए  रहना 
अब मास्क बना है, अपना गहना।

अब मास्क मास्क में, छिपी है सांसे
बच्चों की किलकारी, परिजन की उल्लासें।

हम खतरों से अनजान ,हैं फिरते
और अनदेखी  बीमारी से घिरते।

लापरवाही दुस्साहस  करतें हैं
 अपनी गलती से  हम मरते हैं।

शमशानों में भी जगह अब कम है
हर ओर निराशा दुःख,  मातम है।

मेरा कहना मानो, मान भी जाओ
अपनी ओ सबकी जान बचाओ।

अच्छा  खाओ और मस्त रहो
अपनी बातों, बच्चों में व्यस्त रहो।

                                                   राजेश शुक्ला


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