जीवन में सब कुछ पा सकते हैं
पर,प्यारा घर-परिवार कैसे पाए?
सब कुछ खरीद सकते हैं
पर,घर-परिवार कैसे खरीद पाए?
मम्मी-पापा और दादा-दादी
भाई-बहन और चाचा-चाची
इनसे मिलकर ही तो बनता है घर-परिवार
जो स्नेह और आशीष इनसे मिलता है
नहीं मिलेगा वैसा निश्वार्थ प्रेम किसी के द्वार
आज घर-परिवार टूट रहा हैं
संयुक्त से एकल हो रहा है
बड़ा दुःख होता है ऐसी खबर सुनकर
पहले जैसा नहीं रहा घर-परिवार
आइए हम इस टूटते रिश्तों को बचा ले
घर-परिवार को मिलाकर
स्वर्ग से सुंदर मकान बना ले
कुमार किशन कीर्ति
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना...आभार...
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