हूँ आज फिर नशे में
बहकी बहकी है चाल भी,,,
डूब गई हूँ जाम में
डूब के तेरी यादों में,,,
तेरे यादों का बोझ भारी पड़ गया
इस कमबख्त जाम में वो नशा भी ना था,
जो तेरी बेवफाई केआगे हल्का पड़ गया,,,,
हूँ नशे में ,,,
तेरे नशे में,,,
जाम है ,,,
आंसुओ में घुला,,,,,
तू गया
साथ सब कुछ ले गया,,,,
लत भी नही लगती शराब की
बोतल भी तेरे आगे हल्की ही निकली।।
कवि- मून
No comments:
Post a Comment