साहित्य चक्र

22 May 2021

और तोते उड़ गए




आज रमला बहुत उदास था वह अपने जीवन पर आए संकट को लेकर बेहद दुःखित था। दरअसल रमला जंगल में जाता था और पेड़ काटने का काम करता था। इसके अलावा वह शिकार का भी शौकीन था। पर अब उसकी तबियत ठीक नहीं चल रही थी। उसने सरकारी अस्पताल से आए मेसेज को पढ़ लिया था। उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव थी उसे घर पर आइसोलेट रहने को कहा गया था। जंगली आदमी अकेला कैंसे रह सकता था । घर छोटा था उसमें एक बाड़ा था, जिसमें आम का पेड़ लगा था। रमला आज समय बिताने के लिए आम के पेड़ की छांव में खाट बिछा के लेट गया था। कुछ देर में तोतों का एक झुंड आम के पेड़ पर आकर बैठ गया। शांत माहौल में तोतों की मीठी बोली रमला को बहुत सुकून दे रही थी उसके चेहरे पर छाई मायूसी कुछ कम हो गई थी...।

तभी एक तोते की नजर आम के पेड़ के नीचे  खाट पर लेटे रमला पर पड़ गई वह आश्चर्य से इधर उधर सिर हिला विचलित हो रहा था। साथी तोते ने उससे बेचैनी का कारण पूछा तो पहले तोते ने रमला की ओर सिर हिलाते हुए कहा ,यह वही आदमी है, जिसने जंगल में हमारे कई ठिकाने मिटाए हैं। अब हमारी मीठी बोली सुन अपना मन बहला रहा है। चलो चलते है इसे अकेला क्वारन्टीन रहने दो। इतना कहा और तोते उड़ गए। रमला फिर अकेला था ।


                                                       लेखक- राजेश शुक्ला


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