साहित्य चक्र

07 May 2021

शिक्षा की बात




शिक्षा एक ऐसा अस्त्र है,
जो आपको सफल जीवन प्रदान करती है! 
शिक्षा से सामाजिक और आर्थिक बदलाव में भारी वृद्धि हुई है!

शिक्षा पर सभी का समान अधिकार होना चाहिए, 
मगर शिक्षा का निजीकरण देखकर बेहद दुख और अफसोस होता है! 

आज प्राइवेट स्कूल में कोई गरीब बच्चा शिक्षा 
ग्रहण नहीं कर सकता क्योंकि उनके हाई-फाई फीस और 
अन्य सुविधाओं के लिए मोटी रकम देने में गरीब असमर्थ है!

ग्रामीण इलाकों में कई ऐसे हिंदी मीडियम शिक्षण संस्थान हैं, 
जहां पर टिनशेड और झोपड़ी में विद्यालय चल रहे हैं! 

वहां पर अध्यापकों की दशा बेहद खराब है, 
एक मजदूरी करने वालों से भी बुरा दशा है,
मजदूर की दिहाड़ी 300 रुपये है और शिक्षकों को
1500 से 3000 तक की तनख्वाह में गुजारा करना बेहद दर्दनाक है! 

फिलहाल जिस तरह से कोरोना  के चलते लॉक डाउन की वजह से विद्यालय बंद है उन शिक्षकों का हालत कैसे होगी! 

सरकार को इस विषय पर सोचना चाहिए, 
और कोई ना कोई रास्ता निकालना चाहिए 
जो हिंदी मीडियम के शिक्षकों के हित में हो! 

एक विधायक के खास से बात हुआ
वो बातो बात मे बताया कि अगर सांसद,
विधायक चाहे उसके प्रतिनिधि क्षेत्र में हर हिंदी मीडियम का 
विद्यालय पक्का हो और अन्य सुविधाओं से लैस हो.

विधायक की विकास निधि में इतने पैसे आते हैं 
मगर  पैसे उनको मिलते हैं जो निधि के पैसे से 
पहले 20 से 25 पर्सेंट कमीशन उनकी जेब में डाल दें!

 दुखद चाहे जिस की सरकार रही हो शिक्षा 
स्तर निचले पायदान पर ही रहता है निष्क्रिय 
लोग शिक्षा मंत्री बनाए जाते हैं,

 ताकि शिक्षित होकर जनता इनकी रोजी रोटी ना छीन ले... 

                                             अभिषेक राज शर्मा


No comments:

Post a Comment