साहित्य चक्र

16 May 2021

नर्स सेवाभाव का दूसरा नाम है



सबसे पहले नर्स से ही मिलता है
जब भी कोई बीमार हॉस्पिटल जाता है
उसी से सारी जानकारी लेकर
संबंधित डॉक्टर से मिल पाता है

नर्स भी देवी का इक रूप है
जो दूसरों की ज़िंदगी बचाती है
तभी तो ऑपरेशन थिएटर में 
डॉक्टर के साथ खड़ी नज़र आती है

इंजेक्शन लगाना हो या मापना हो बुखार
बिना भेदभाव के नर्स हमेशा रहती है तैयार
लोगों की करती है दिन रात सेवा
छोड़ना पड़ता है उसको घरबार

वार्ड में दौड़ती फिरती है इधर उधर
जैसे चल रही हो मशीन कोई
कोई नहीं जानता लोगों की सेवा के लिए
वह कितनी रातों से नहीं है सोई

वार्ड में कोई कहता मेरा ग्लूकोस बदल दो
कोई हड्डियों की पीड़ा से कराहता है
एक दम से पहुंचती है मरीज के पास
उसका कोमल हृदय एक दम से पिघल जाता है

हरी बर्दी व सफेद टोपी पहनती है
खुदा का फरिश्ता नज़र आती है
बात करती है प्यार से जब मरीजों से
आधी बीमारी वैसे ही दूर हो जाती है

नर्स सेवाभाव का ही है दूसरा नाम
निःस्वार्थ सेवा करती है सब की
कठिन वक्त में साथ देती है
मरीज के लिए वह तो नेमत है रब की

 
                                           रवींद्र कुमार शर्मा

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